मां को डायबिटीज तो खतरे में बच्चे की जान, कानपुर के नारायना मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों ने बताईं ये जरूरी जानकारियां...
डायबिटीज की वजह से जटिलताएं बढ़ने पर होते है सिजेरियन प्रसव
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कानपुर, अमृत विचार। मां के डायबिटिक होने का सीधा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है, बच्चे को ना सिर्फ गर्भ में दिक्कत होती है, बल्कि प्रसव के बाद गंभीर बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है। बच्चा टाइप टू डायबिटिज ग्रस्त भी हो सकता है। बच्चे की गर्भ में मौत या गर्भपात भी हो सकता है। यह जानकारी नारायना मेडिकल कॉलेज में डॉ.प्रीति कुमार ने दी।
पनकी स्थित नारायना मेडिकल कॉलेज में शनिवार को पैथोलॉजी विभाग के सेमिनार में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, लखनऊ, दिल्ली व बाराबंकी से आए विशेषज्ञों ने पैथोलॉजी व माइक्रोबायोलॉजी विभाग में होने वाली एडवांस जांचों की जानकारी दी। कॉलेज के चेयरमैन व प्रधानाचार्य ने वरिष्ठ डॉक्टरों व छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।
नारायना मेडिकल कॉलेज की डॉ.प्रीति कुमार ने बताया कि गर्भवास्था के दौरान महिलाओं को डायबिटिज होने का खतरा अधिक रहता है। इसलिए शुरुआती दिनों में ही स्क्रीनिंग करानी चाहिए। जांच में अगर शुगर का लेवल 140 से अधिक है तो यह मधुमेह का संकेत है। गर्भवती अगर डायबिटिज ग्रस्त होती है तो बच्चे को तमाम परेशानी से जूझना पड़ता है। इसमें ब्लीडिंग की समस्या, बच्चे का विकास ठीक से न होना, बच्चे के सिर या अन्य अंग का आकार बढ़ना जैसी समस्या शामिल है।
अधिक जटिलता पर बच्चे की गर्भ में मौत भी हो सकती है। अगर प्रसव ठीक हुआ तो बच्चे में ज्वाइंडिस, शुगर लेवल बढ़ने, मोटापा, दिल का रोग व ब्रेन में दिक्कत की संभावना रहती है। पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ.एमपी मिश्रा, डॉ.रोहिणी, डॉ.एके दीक्षित, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की उप प्राचार्य डॉ.रिचा गिरी, डॉ.सौरभ अग्रवाल, डॉ.महेंद्र सिंह मौजूद रहे।
शादी से पहले यह जांचें जरूरी
वर्तमान में युवा करिअर बनाने की ललक में देर से शादी कर रहे हैं, जिसकी वजह से उनमें कई समस्याएं बढ़ती है, इसमें उम्र के साथ होने वाली डायबिटिज की भी समस्या शामिल है। इसलिए शादी से पहले या बेबी प्लान करने से पहले थायराइड, सर्वाइकल, शुगर व यूरिन समेत आदि जांचें जरूर करानी चाहिए, ताकि भविष्य में होने वाली जटिलताओं को कम किया जा सके।
मानसिक रोगियों का इलाज कर रहा संस्थान
नारायना मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन अमित नारायना ने बताया कि यह सेमिनार एडवांस मेडिकल जांचों की सुविधाओं की गुणवत्ताओं को और बेहतर बनाने का काम करेगा। नारायना मेडिकल कॉलेज प्रदेश का पहला कॉलेज है, जो सड़क पर घूमने वाले मानसिक रोगियों को खोजकर या पुलिस द्वारा लाने पर उनका मुफ्त इलाज करता है। एमडी उदित नारायना ने बताया कि मानसिक रोगी को न सिर्फ यहां पर स्वास्थ्य लाभ दिया जा रहा है, बल्कि उनको उनके घर तक पहुंचाने का काम भी किया जा रहा है। उन्होंने रियायती दरों पर रहे सीटी स्कैन, एमआरआई, रक्त आदि जांच की जानकारी भी दी।