बरेली:अस्पताल की इस पुड़िया में दवा के साथ है जहर, इलाज की जगह जान से हाथ न धोना पड़े...
राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में दे रहे हैं अखबारी कागज में दवा
बरेली, अमृत विचार। एफएसएसएआई की गाइड लाइन है कि खाने की चीजें अखबारी कागज में न रखी जाएं क्योंकि इससे सेहत को गंभीर नुकसान हो सकता है लेकिन एसआरएम राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज समेत ज्यादातर सरकारी आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में भी दवाओं की पुड़िया बनाने के लिए इसी कागज का इस्तेमाल किया जा रहा है।
आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में ब्राउन पेपर में दवाएं देने की व्यवस्था है, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है। सेहत के लिए खतरनाक होने के बाद भी अखबार के कागज में दवाएं क्यों दी जा रही हैं, जिम्मेदार लोग इसकी जानकारी न होने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं। एसआरएम राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के मेडिसिन इंचार्ज डॉ. सीबी सिंह इतना ही कहते हैं कि दवाओं के लिए अलग कागज मंगाए जाते हैं, लेकिन हो सकता है कि यह कागज खत्म हो गए हों। खाद्य सुरक्षा सहायक आयुक्त अपूर्व श्रीवास्तव कहते हैं कि आयुर्वेदिक दवाओं के मामले में वह कुछ नहीं कह सकते। एफएसएसएआई की गाइड लाइन कहती है कि खाने की कोई भी चीज अखबार के कागजों में नहीं रखनी चाहिए। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अधिकारी अभिषेक सिंह का कहना है कि इस बारे में आयुर्वेद में कोई गाइड लाइन नहीं है। हालांकि ब्राउन पेपर में दवा बांटने के लिए चिकित्सालयों से डिमांड मांगी गई है जिसके लिए बजट की व्यवस्था की जा रही है।
हो सकती हैं कई बीमारी
जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ. राहुल बाजपेयी कहते हैं कि अखबार कोई खाने-पीने की चीज लपेटने के लिए नहीं बने हैं। उनकी छपाई में इस्तेमाल होने वाली इंक टॉक्सिक (जहरीली) होती है। अगर लंबे समय तक उसमें खाने की चीजें रखकर उनका इस्तेमाल किया जाए तो उल्टी-दस्त, नॉजिया, पेट और आंत संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।