भाकियू भानू ने वन विभाग से पौधरोपण में खर्च रकम का मांगा हिसाब

पदाधिकारियों ने मुख्य वन संरक्षक कार्यालय के मुख्य गेट के बाहर टेंट लगाकर दिया धरना

भाकियू भानू ने वन विभाग से पौधरोपण में खर्च रकम का मांगा हिसाब

बरेली,अमृत विचार। भारतीय किसान यूनियन (भानु) के पदाधिकारियों ने वन विभाग से बरेली, रामपुर और मुरादाबाद में पौधरोपण और वनों को संरक्षित करने में खर्च की गई रकम का हिसाब मांगा है। पदाधिकारियों ने पूर्व मांगों पर जवाब नहीं मिलने पर बृहस्पतिवार को मुख्य वन संरक्षक कार्यालय के मुख्य गेट के पास टेंट लगाकर करीब 6 घंटे तक धरना प्रदर्शन किया। कई अफसरों ने धरनास्थल पहुंचकर पदाधिकारियों को मनाने का प्रयास किया। अधिकारियों की मांगों का निस्तारण करने के आश्वासन पर शाम 4 बजे धरना समाप्त किया।

पदाधिकारियों ने सरदार निर्मल सिंह की अध्यक्षता में सुबह 10 बजे धरना शुरू किया। संगठन के राष्ट्रीय महासचिव शोएब इजहार खां ने कहा कि वन विभाग की मनमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। वर्ष 2023-24 में शासन स्तर से पौधरोपण के लिए जो धनराशि आई, वह कहां खर्च की गई, अन्य मदों में खर्च रकम के साथ वनों को संरक्षित धन का हिसाब हर किसान को चाहिए। पौधरोपण में खर्च का हिसाब पहले भी मांगा लेकिन अफसरों ने ध्यान नहीं दिया, इसलिए किसानों को बेमियादी धरना शुरू करना पड़ा। मुख्य वन संरक्षक विजय सिंह, रामपुर डीएफओ राजीव कुमार, शाहजहांपुर डीएफओ आदि ने धरना स्थल पहुंचकर पदाधिकारियों को मनाने का प्रयास किया। अधिकारी बुधवार से ही पदाधिकारियों को मनाने में जुटे थे कि धरना प्रदर्शन न करें, लेकिन पदाधिकारियों ने सुबह ही टेंट लगा दिया। पूर्व में दिए मांगपत्र के अनुसार समस्याओं के निराकरण का आश्वासन मिलने पर करीब 4 बजे धरना समाप्त करने की घोषणा की गई। यूनियन ने आठ सूत्रीय मांगपत्र भी सौंपा। इस दौरान जिला प्रभारी जावेद वारसी, अनुज सिंह, तसलीम खां, रईस मियां, सरदार निर्मल सिंह, गुरुचरन सिंह, आशीष ठाकुर, अकील अहमद, मुराद खां, शोएब सुल्तान, मोनिस खां आदि धरने पर बैठे।

जंगल में चल रहीं कच्ची शराब की भट्टियां
रामपुर से आए संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मोहम्मद हनीफ वारसी ने कहा कि बरेली मंडल और मुरादाबाद मंडल में पौधरोपण में हुए खर्च का हिसाब लेकर रहेंगे। भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग पौधरोपण करने की बजाय नष्ट करने पर लगे हैं, ताकि अगले साल शासन से बजट के रूप में मोटा पैसा मिल सके। संरक्षित वनों में कच्ची शराब की भट्टियों का संचालन हो रहा है।