मुरादाबाद: झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ थानाध्यक्ष ने लौटाई तहरीर, कहा-कोर्ट में दायर करो परिवाद
मुरादाबाद, अमृत विचार। झोलाछाप डॉक्टरों के विरुद्ध मेडिकल काउंसिल एक्ट के तहत शिव हेल्थ केयर के विरुद्ध एफआईआर लिखने के बजाय थानाध्यक्ष ने चिकित्सा अधीक्षक की तहरीर को वापस कर दिया है। साथ ही सलाह दी है कि कोर्ट में परिवाद दायर करो। चिकित्सा अधीक्षक ने सुरजन नगर में आराध्या बैंक्वेट हॉल के पास स्थित शिव हेल्थ केयर के संचालक डॉ. एसके सैनी के विरुद्ध एफआईआर के लिए 11 सितंबर को तहरीर दी थी।
यह मामला ठाकुरद्वारा का है। इस मामले में शनिवार को थानाध्यक्ष दीपेश सिंह ने चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजपाल को पत्र लिखकर कहा है कि न्यू मेडिकल काउंसिल एक्ट-2019 की धारा 34(2) के तहत प्रकरण के संबंध में न्यायालय में परिवाद दायर किया जाना विधि संगत होगा। उधर, चिकित्सा अधीक्षक ने भी स्वीकार किया है कि थानाध्यक्ष ने उनकी तहरीर को लौटा दिया है।
अब अगली कार्रवाई के लिए उन्होंने कहा कि उच्चाधिकारियों को मामले की जानकारी दी है। जैसे निर्देश मिलेंगे, उसी क्रम में शिव हेल्थ केयर के संचालक के विरुद्ध कार्रवाई कराने का प्रयास किया जाएगा। डॉ. राजपाल ने बताया कि उन्होंने 11 सितंबर को ही शिव हेल्थ केयर में छापेमारी की थी। यहां उनके पहुंचने से पहले ही संचालक नासिर निकल चुका था, जबकि मौके दो युवतियां मिली थीं जो अपने को नर्स बता रही थीं।
अस्पताल में दो गर्भवती के ऑपरेशन से शिशु का जन्म कराया गया था, जो वहीं भर्ती भी मिली थीं। इन प्रसूताओं को सीएचसी में शिफ्ट किया गया था। इनमें शनिवार को एक प्रसूता को सीएचसी से छुट्टी भी कर दी गई है। यह नर्सिंग होम सीएमओ कार्यालय में पंजीकृत भी नहीं है न ही यहां कोई प्रशिक्षित स्टाफ व डॉक्टर हैं, इसके बाद भी ऑपरेशन से प्रसव कराए जा रहे थे। इसी मामले में उन्होंने एफआईआर के लिए थाने में तहरीर दी थी। जिसे थानाध्यक्ष ने एफआईआर न दर्ज कर वापस कर दिया है।
पहले के ही 10 मामले में लंबित पड़े
ठाकुरद्वारा थानाध्यक्ष दीपेश सिंह ने बताया कि सीएचसी अधीक्षक डॉ. राजपाल जिस मेडिकल काउंसिल एक्ट-2019 की धारा 15(2)/15(3) के तहत एफआईआर दर्ज करने को कह रहे हैं, उसे सुप्रीम कोर्ट पहले ही खारिज कर चुकी है। इन धाराओं के मामले की चार्जशीट कोर्ट में नहीं जाती है।
कुछ धाराएं ऐसी हैं जिसमें सीधे कोर्ट से ही संज्ञान लिया जाता है। अब न्यू मेडिकल काउंसिल एक्ट-2019 की धारा 34(2) के तहत वाद दायर होगा, वह भी न्यायालय में। थानाध्यक्ष ने कहा कि पहले से ही थाने में 10 एफआईआर लंबित पड़ी हैं, जिसकी चार्जशीट लीगल एडवायजर (अभियोजन) न्यायालय में भेजने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि मेडिकल काउंसिल एक्ट का वाद सीधे न्यायालय में ही दायर होता है।
इनमें आज तक नहीं दाखिल हो सकी चार्जशीट
ठाकुरद्वारा थानाध्यक्ष ने बताया कि 18 सितंबर 2023 को चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजपाल सिंह की तहरीर पर कस्बे की क्रिस्टल डायग्नोस्टिक लैब के संचालक नासिर के विरुद्ध एफआईआर लिखी गई थी। इस लैब के निरीक्षण में पाया गया था कि लेटर पैड पर एमबीबीएस पैथ इंचार्ज डॉ. एम.आलम व डॉ. एफ.अशरफ के नाम फर्जी हैं।
यह डायग्नोस्टिक लैब सीएमओ कार्यालय में पंजीकृत भी नहीं थी। इसे सील किया गया था। इसी तरह 28 अगस्त 2023 में ही डिप्टी सीएमओ डॉ. संजीव बेलवाल ने प्राइम डायग्नोस्टिक लैब के संचालक मो. अतहर के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसका भी सीएमओ कार्यालय में पंजीकरण नहीं था। इसे भी सील किया था।