प्रयागराज : मैनपुरी के न्यायाधीशों को प्रशिक्षण की जरूरत

प्रयागराज : मैनपुरी के न्यायाधीशों को प्रशिक्षण की जरूरत

अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मैनपुरी के जूनियर डिवीजन, सिविल जज और फास्ट ट्रैक कोर्ट, जिला जज द्वारा विवादित संपत्ति के एक मामले में की गई कार्यवाही पर हैरानी जताते हुए कहा कि दोनों जजों को आगे के प्रशिक्षण की आवश्यकता है। कोर्ट में जूनियर डिवीजन, सिविल जज द्वारा मामले में दाखिल प्रतिवादों को समझने के तरीके में स्पष्ट रूप से समझ की कमी देखी।

कोर्ट ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि बचाव पक्ष में दो गवाह प्रस्तुत किए, जिनकी गवाही पर बिना विचार किए निर्णय दिया गया, जो परीक्षण प्रक्रियाओं में संभावित चूक का संकेत देता है। कोर्ट ने पाया कि सिविल कोर्ट के फैसले में ना तो वादी के दावे और ना ही प्रतिवादों को ठीक से संबोधित किया गया, जिसके कारण निष्कर्ष निरर्थक हो गए। मामले में प्रस्तुत तर्कों पर उचित विचार किए बिना प्रतिवादी के मुकदमे को खारिज कर दिया गया।

कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा कि दोनों अदालतें सिविल न्यायालय के रूप में अपने कर्तव्यों को संपादित करने में विफल रही हैं। वे केवल बिना उचित कारण निर्णय लिखने की औपचारिकताएं पूरी कर रही हैं। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की एकलपीठ ने शैलेंद्र उर्फ शंकर वर्मा द्वारा विवादित संपत्ति मामले में दाखिल दूसरी अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए की, साथ ही विपक्षियों को नोटिस भी जारी किया।

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