सरकार की तैयारी

सरकार की तैयारी

एक देश एक चुनाव के पक्ष में कहा जाता है कि यह विकासोन्मुखी विचार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस विचार का समर्थन कर इसे आगे बढ़ाया है। प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए लाल किले से कहा था कि एक देश, एक चुनाव  के लिए आगे आना होगा। रविवार को राजग सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर जानकारों ने भरोसा जताया कि सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में ही एक देश, एक चुनाव  को लागू करेगी।

गौरतलब है कि देश में लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने के मुद्दे पर काफी समय से बहस चल रही है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित एक उच्च स्तरीय समिति ने इस वर्ष मार्च में पहले कदम के रूप में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की। हालांकि कोविंद समिति ने एक साथ चुनाव कराने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की। इसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की गई। सवाल उठता है कि एक देश एक चुनाव की जरूरत क्यों है?

एक देश एक चुनाव के पक्ष में कहा जाता है कि इससे काले धन और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। देश हमेशा चुनावी मोड में रहता है। इससे न केवल प्रशासनिक और नीतिगत निर्णय प्रभावित होते हैं बल्कि देश के खजाने पर बोझ भी पड़ता है। चुनावों के कारण देश में बार-बार आदर्श आचार संहिता लागू करनी पड़ती है। इसकी वजह से सरकार आवश्यक नीतिगत निर्णय नहीं ले पाती और विभिन्न योजनाओं को लागू करने में समस्या आती है। दूसरी ओर कुछ जानकारों का मानना है कि देश की जनसंख्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है, इस कारण एक साथ चुनाव करा पाना संभव नहीं है।

विरोध में विश्लेषकों का मानना है कि संविधान ने हमें संसदीय मॉडल प्रदान किया है जिसके तहत लोकसभा और विधानसभाएं पांच वर्षों के लिए चुनी जाती हैं। अगर लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ करवाए गए तो ज्यादा संभावना है कि राष्ट्रीय मुद्दों के सामने क्षेत्रीय मुद्दे गौण हो जाएं या इसके विपरीत क्षेत्रीय मुद्दों के सामने राष्ट्रीय मुद्दे अपना अस्तित्व खो दें। फिर भी लगातार चुनाव होते रहने से राजनेताओं और पार्टियों को सामाजिक समरसता भंग करने का मौका मिल जाता है। एक साथ चुनाव असल में कई समस्याओं का समाधान है। इसलिए एक साथ चुनाव का विचार संकीर्ण राजनीतिक दृष्टि से ऊपर उठकर देखा जाना चाहिए।

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