पैरालंपिक रजत पदक विजेता प्रणव सूरमा ने कहा- जीवन चुनौती है लेकिन आपको इससे लड़ना होगा
पेरिस। दुर्घटना के कारण व्हीलचेयर का सहारा लेने के लिए मजबूर प्रणव सूरमा अपने अंतिम नाम के अनुरूप खेलते हैं और अब पैरालंपिक खेलों में पदार्पण करते हुए रजत पदक जीतने के बाद उन्हें उचित प्रसिद्धि मिलेगी। सक्षम खिलाड़ियों के तार गोला फेंक की तरह की पैरा स्पर्धा क्लब थ्रो में बुधवार को प्रणव ने रजत पदक जीता जबकि उनके हमवतन धर्मबीर ने एशियाई रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक हासिल किया। प्रणव जब सिर्फ 16 साल के थे तब सीमेंट की शीट उनके ऊपर गिर गई जिससे उनकी रीढ़ की हड्डी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और उनके पैर और हाथ हिलना बंद हो गए। यहां तक कि लकड़ी के डंडे को पकड़ना भी उनके लिए बहुत मुश्किल काम है और उन्हें इसे पकड़ने और प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए गोंद का इस्तेमाल करना पड़ता है।
प्रणव ने फाइनल में 34.59 मीटर के थ्रो से रजत पदक जीतने के बाद कहा, हमने इस लम्हे के लिए दिन-रात काम किया है क्योंकि चिकित्सा स्थिति को देखते हुए बहुत सारी चीजें चल रही हैं और नियमित ट्रेनिंग तथा व्यायाम हमारी चिकित्सा स्थिति में एक बहुत बड़ी चुनौती है। फरीदाबाद के प्रणव ने प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से कॉमर्स में स्नातक की डिग्री हासिल की है और वह एक राष्ट्रीयकृत बैंक में सहायक प्रबंधक भी हैं। उन्होंने कहा कि उनकी शारीरिक स्थिति को देखते हुए जीवन ‘अपने आप में एक बहुत बड़ी चुनौती है।
प्रणव ने कहा, इसलिए इनसे उबरना और सही व्यायाम, सही रिकवरी, सही पोषण की तलाश करना... ये सभी मिलकर एक खिलाड़ी बनने में अहम भूमिका निभाते हैं। इसलिए हमने उन सभी चुनौतियों को पार किया और गौरव हासिल किया। उन्होंने कहा, ‘‘हम एफ51 श्रेणी में खेलते हैं जो पैरा खेलों में सबसे गंभीर दिव्यांगता है। हमारी अंगुलियों में पकड़ नहीं है इसलिए हम अपने उपकरणों को पकड़ने के लिए एक चिपचिपी गोंद जैसी चीज का उपयोग करते हैं जो लकड़ी का क्लब होता है और हम थ्रो करते हैं। प्रणव ने कहा कि मौसम की स्थिति के आधार पर गोंद एक चुनौती बन जाती है।
उन्होंने कहा, अत्यधिक गर्मी में गोंद ढीला हो जाता है, जब बहुत अधिक ठंड होती है, तो गोंद सख्त हो जाता है और जब बारिश होती है तो यह फिसलन भरा हो जाता है। प्रणव ने कहा, इसलिए हमें इसके अनुकूल होने और सर्वोत्तम संभव प्रयास करने की आवश्यकता है। मुझे लगता है कि गोंद उस तरह से काम नहीं कर पाया जैसा मैं चाहता था लेकिन हम किसी तरह अपना सर्वश्रेष्ठ संभव प्रयास करने में कामयाब रहे।’’ प्रणव की सफलता उनके पिता संजीव की दृढ़ता का भी परिणाम है। संजीव ने प्रणव की देखभाल के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी क्योंकि परिवार के पास किसी व्यक्ति को इस काम पर रखने के लिए पैसा नहीं था। अगर कोई खिलाड़ी है जिसके प्रणव प्रशंसक हैं तो वह हैं दिग्गज बल्लेबाज विराट कोहली।
प्रणव ने कहा, मैं बहुत लंबे समय से (माइकल) जोर्डन (एनबीए के सर्वकालिक महान खिलाड़ी) का प्रशंसक रहा हूं। अगर मैं खेलों में सबसे बड़े आदर्श की बात करूं तो मुझे लगता है कि वह मेरे लिए विराट कोहली ही हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने भी अपने खेल करियर में उतार-चढ़ाव देखे हैं इसलिए उन्होंने इस पर काम किया, उन्होंने अपना समय लिया और आखिरकार किसी से भी ज्यादा मजबूत और बेहतर बनकर उभरे। इसलिए वह दुनिया के शीर्ष खिलाड़ी हैं और मैं उन्हें अपना आदर्श मानता हूं।
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