ब्रुनेई और भारत

ब्रुनेई और भारत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रुनेई यात्रा को दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। यात्रा से दोनों देशों के अलावा वृहद आसियान क्षेत्र के साथ भी भारतीय साझेदारी और मजबूत होगी। सरकार ने लुक ईस्ट पॉलिसी बनाकर बकायदा आसियान और पूर्वी देशों के साथ संबंधों को मजबूत किया है। उनकी ब्रुनेई यात्रा इसी का हिस्सा है।

बढ़ती आकांक्षाओं के साथ युवा आबादी द्वारा संचालित स्थायी आर्थिक विकास से भारत विश्व में ऊर्जा के सर्वाधिक भरोसेमंद दीर्घावधिक बाजारों में एक बन गया है। ऊर्जा व्यापार ऐसा क्षेत्र है,जहां भारत और ब्रुनेई के बीच मजबूत संपूरकताएं हैं। ब्रुनेई और भारत के बीच ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संबंध तीसरी शताब्दी से ही चले आ रहे हैं। इनसे हमें आधुनिक काल में मजबूत एवं स्थायी संबंध का निर्माण करने के लिए आत्मविश्वास प्राप्त हुआ है। महत्वपूर्ण है कि यह दौरा ऐसे समय पर है जब भारत और ब्रुनेई दोनों अपने कूटनीतिक सम्बंधों की 40वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।

भारत स्थायी रूप से विकास के पथ पर आरूढ़ है। देश में ऊर्जा की आवश्यकताएं बढ़ रही हैं। यह भारत को हाइड्रो कार्बन का निर्यात बढ़ाने के लिए ब्रुनेई को अवसर प्रदान करता है। भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था भी हमें विशिष्ट ऊर्जा विक्रेता-क्रेता संबंध से आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है। हाइड्रो कार्बन निर्यात श्रृंखला में विविधता लाने और मूल्य वृद्धि करने के लिए प्रचुर संभावनाएं हैं।

भारत ब्रुनेई से कई चीजें आयात करता है। इसमें क्रूड ऑयल, हाइड्रोकार्बन, आयरन, स्टील, मेटल, आइसोटोप, न्यूक्लियर रिएक्टर, बॉयलर्स, व्हीकल शामिल है। वहीं, ब्रुनेई भारत से डेयरी प्रोडक्ट, फल, नट्स, अनाज,तेल, कॉस्मेटिक्स, डेयरी प्रोडक्ट और एल्युमिनियम खरीदता है।  
आज डाक्टरों, इंजीनियरों, उद्यमियों, शिक्षकों तथा कुशल कार्मिकों जैसे पेशेवरों का भारतीय समुदाय (जिनकी संख्या 14 हजार के आसपास है) ब्रुनेई की अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहा है। गौरतलब है कि 250 मिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार में से लगभग 60-से 70 प्रतिशत हिस्सा हाइड्रोकार्बन का है, जो इस समय बहुत बड़ा आंकड़ा नहीं है।

विशेष रूप से प्राकृतिक गैस के मामले में, यह राशि काफी बढ़ सकती है। वास्तविक रूप से, यह लगभग 270 मिलियन डॉलर के कच्चे तेल के आयात के बराबर है। साथ ही ब्रुनेई में, विशेष रूप से इसके ईईजेड क्षेत्र में एक विशाल हाइड्रोकार्बन भंडार है, संभावना है कि भारत इस हाइड्रोकार्बन भंडार की खोज में ब्रुनेई के साथ समझौता कर सकता है।

भारत को अंतरिक्ष कार्यक्रम में ब्रुनेई से बहुमूल्य समर्थन मिला है। टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड में ब्रुनेई के साथ सहयोग जारी है और भारत इसे आगे ले जाने को प्रतिबद्ध है। ब्रुनेई के साथ रक्षा सहयोग के बारे में कोई बड़ा परिणाम मिलने की उम्मीद की जा सकती है।

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