बाराबंकी: बह गए 27 करोड़, हवा में ही लटके रहे तार, जर्जर हुए महंगे उपकरण

भूमिगत केबल बिछाने का काम लक्ष्य का आधा, बेकार पड़े काम आने वाले तार

बाराबंकी: बह गए 27 करोड़, हवा में ही लटके रहे तार, जर्जर हुए महंगे उपकरण

बाराबंकी, अमृत विचार। शहरी क्षेत्र के बाशिन्दों को हवा में लटकते मांझे की तरह उलझे बिजली के तारों से मुक्ति दिलाने की योजना मंजिल तक पहुंचे बिना ही दम तोड़ बैठी। इन तारों को भूमिगत करने के साथ ही घर घर बिजली पहुंचाने के लिए जिस फर्म को जिम्मेदारी सौंपी गई, उसने करीब 27 करोड़ रूपए खर्च कर डाले पर आधा शहर भी ठीक ढंग से योजना के दायरे में नहीं आ सका।

बाकी शहर का बड़ा हिस्सा तो लाभ पाने से तो छूट ही गया, पर जिस हिस्से में काम हुआ, वहां अधर में लटकने से बिछाए गए भूमिगत तार जमींदोज ही रह गए और हर मोड़ व मार्ग किनारे लगाए गए केबिल बाक्स जर्जर होकर हंसी के पात्र बन रहे। यह कहने में कोई संकोच नहीं कि अधूरी प्लानिंग, कुप्रबंधन व लापरवाही की भेंट 27 करोड़ रूपए चढ़ गए।

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बताते चलें कि 29 वार्ड और लाखों की आबादी वाले बाराबंकी शहर में हवा में तारों का मकड़जाल बिछा हुआ है। सिर के ऊपर तार गुजरने के बजाए अगर कहा जाए कि हर पल खतरा मंड़रा रहा है तो गलत नहीं होगा। खासकर आंधी तूफान, तेज बारिश के दौरान बत्ती गुल करना मजबूरी है वरना तारों के गिरने से हादसे का खतरा बलवती रहता है।

इस हर पल की मुसीबत से छुटकारा दिलाने के साथ ही बिजली चोरी से मुक्ति दिलाने के लिए ही भूमिगत केबल डालने की योजना बनी और इसके लिए बाकायदा सर्वे किया गया। सर्वे पूरा होने के बाद एचटीपीएल कंपनी को इस काम को पूरा करने का जिम्मा दिया गया। कंपनी ने जिम्मेदारी मिलते ही नगर पालिका क्षेत्र में काम शुरू कर दिया। लक्ष्य 14.78 किलोमीटर भूमिगत लाइन बिछाने का था और इस पर करीब 27 करोड़ रूपए खर्च होने थे। कंपनी ने तेजी से काम शुरू किया तो नागरिक भी जानकारी पाकर खुश हुए।

शहर में लखपेड़ाबाग, हजाराबाग, आजाद नगर, दीनदयाल नगर, मकदूमपुर, अशदनगर, पटेल नगर, पंचशील कॉलोनी, महर्षि नगर, फैजुल्लागंज (आंशिक), शिवाजीपुरम, बाल बिहार कॉलोनी, आदि मोहल्लों में भूमिगत लाइन बिछाई गई और इतनी बड़ी रकम खर्च कर दी गई पर हैरत की बात यह कि शहर की घनी बस्ती और नए क्षेत्र के अलाव परिसीमन में शामिल हुए अधिकांश वार्ड में धेला भर भी काम नहीं हुआ। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम बाराबंकी डिवीजन के अधिशाषी अभियंता  सुभाष चंद्र मौर्य ने बताया कि इस योजना व हुए खर्च के बारे में कोई जानकारी नही है।

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हंसी का पात्र बना काम, अब चोरी हो रहा सामान

बिजली विभाग की यह महती योजना किस हाल में है यह देखने के लिए अाधा शहर काफी है। कई जगहों पर खुले में पड़ा तार बेकार हो रहा, घरों के बाहर लगाई गई केबल व मोड़, चौराहे तिराहे पर लगे केबल बाक्स देख रेख के अभाव जर्जर व टूट फूट का शिकार होते जा रहे तमाम जगहों पर तो बाक्स के हिस्से ही चोरी किए जा चुके हैं।

फैजुल्लागंज में आधा अधूरा कार्य किया गया। बड़ेल के कुछ हिस्से में भी तार पड़ा हुआ बेकार हाे रहा है। कुल मिलाकर लक्ष्य तक पहुंचे बिना ही योजना औंधे मुंह जा गिरी क्योंकि पीर बटावन, खलरिया, बड़ेल, कटरा, मोहारीपुरवा समेत कई ऐसे मोहल्ले हैं, जहां भूमिगत केबल बिछाई ही नहीं गई। कहा जा सकता है कि आधा शहर इस प्लान में शामिल हुए बिना ही रह गया। जो काम हुआ वह भी अधूरा रहने से खतरा सिर पर मंड़रा रहा और लाइन लास अपनी जगह पर बना हुआ है।

मामला संज्ञान में लाया गया है, संयुक्त जिला मजिस्ट्रेट की एक टीम बनाकर इस संबंध में हुए कार्य का सत्यापन कराया जाएगा और जो भी कार्य अधूरा रह गया है। उसके लिए पत्राचार कर बाकी काम पूरा कराने का प्रयास किया जाएगा.., सत्येन्द्र कुमार, जिलाधिकारी।

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