मालिक ने बिना अनुमति के बेसमेंट का 'जानबूझकर' व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया: सीबीआई

मालिक ने बिना अनुमति के बेसमेंट का 'जानबूझकर' व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया: सीबीआई

नई दिल्ली। सीबीआई का आरोप है कि राउज आईएएस स्टडी सर्किल कोचिंग संस्थान के मालिक ने “जानबूझकर” बेसमेंट का व्यावसायिक उद्देश्य के लिए उपयोग किया, जो दिल्ली नगर निगम द्वारा स्वीकृत उपयोग के नियमों का उल्लंघन है। ओल्ड राजिंदर नगर में स्थित संस्थान के बेसमेंट में 27 जुलाई को जलभराव के कारण यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे तीन अभ्यर्थी डूब गए थे।

आरोपों की “गंभीरता” के मद्देनजर, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कोचिंग संस्थान के मालिक अभिषेक गुप्ता और अन्य आरोपियों देशपाल सिंह, हरविंदर सिंह, परविंदर सिंह, सरबजीत सिंह और तजिंदर सिंह से “हिरासत में पूछताछ” के लिए विशेष अदालत से अनुमति मांगी। ये आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में थे। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट निशांत गर्ग ने शनिवार को सभी छह लोगों को चार सितंबर तक सीबीआई हिरासत में भेज दिया।

अदालत को दिए अपने निवेदन में सीबीआई ने कहा है कि उसकी जांच से यह भी पता चला है कि 2023 में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष यह मुद्दा उठाए जाने के बाद भी संस्थान के पास लगभग एक साल तक अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र नहीं था। पिछले साल जब उच्च न्यायालय में यह मामला उठाया गया था कि इलाके के कई कोचिंग संस्थानों के पास अनिवार्य अग्नि सुरक्षा प्रमाण पत्र नहीं है, तो एमसीडी ने राव आईएएस स्टडी सर्किल के मालिक को भी मास्टर प्लान-2021 का पालन करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

आठ अगस्त 2023 को जवाब में उन्होंने एमसीडी को आश्वासन दिया कि उन्होंने अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र के लिए आवेदन कर दिया है। अंततः नौ जुलाई 2024 को संस्थान को प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया। सीबीआई जांच से पता चला है कि एमसीडी ने नौ अगस्त, 2021 को इमारत को अधिभोग प्रमाण पत्र दिया था, जिसमें “स्पष्ट रूप से” कहा गया था कि बेसमेंट का उपयोग केवल सीढ़ी, लिफ्ट, लॉबी, शौचालय, पार्किंग, घरेलू भंडारण और कार लिफ्ट के लिए किया जा सकता है।

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि कोचिंग संस्थान के मालिक अभिषेक गुप्ता ने पांच जनवरी 2022 को इमारत के सह-मालिकों के साथ एक पट्टा समझौता किया था, जिसके तहत इमारत को चार लाख रुपये प्रति माह किराए पर नौ साल के लिए पट्टे पर लिया गया था। केंद्रीय एजेंसी ने पाया कि इमारत के बेसमेंट का इस्तेमाल कथित तौर पर लाइब्रेरी और परीक्षा हॉल के लिए किया जा रहा था, जिसमें 80-90 लोगों के बैठने की क्षमता थी।

एजेंसी ने पाया कि छात्र दिन भर पढ़ाई और परीक्षा देने के लिए वहां बैठते थे। सीबीआई ने विशेष अदालत को बताया, “बेसमेंट के स्वीकृत उपयोग के विपरीत, पट्टाकर्ता और पट्टाधारक ने कोचिंग संस्थान चलाने के व्यावसायिक उद्देश्य के लिए जानबूझकर बेसमेंट का उपयोग करने पर सहमति व्यक्त की।”

सीबीआई ने यह भी पाया कि ओल्ड राजिंदर नगर निचला इलाका होने के कारण हल्की बारिश में भी जलमग्न हो जाता था और बारिश का पानी परिसर में घुस जाता था। पानी को अंदर घुसने से रोकने के लिए इमारत में स्टील के गेट का इस्तेमाल किया गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए सीबीआई ने कहा है कि तीनों यूपीएससी अभ्यर्थियों की मौत 27 जुलाई को बाढ़ के दौरान डूबने से हुई थी।

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