Kanpur: सूटरगंज ग्वालटोली से बड़ी करबला तक निकला सफर-ए-इश्क, महिलाओं व बच्चों के हाथों में दिखा तिरंगा

करबला शहीदों के चहेल्लुम पर मातम, नौहाख्वानी व मजलिस

Kanpur: सूटरगंज ग्वालटोली से बड़ी करबला तक निकला सफर-ए-इश्क, महिलाओं व बच्चों के हाथों में दिखा तिरंगा

कानपुर, अमृत विचार। करबला के मैदान में शहीद हुए हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों के चालीसवां पर सूटरगंज मस्जिद ग्वालटोली से बड़ी करबला नवाबगंज तक सफर-ए-इश्क जुलूस निकाला गया। बड़ी करबला नवाबगंज में मातम, नौहाख्वानी के साथ मजलिस को उलमा ने खिताब किया।  

सोमवार को सूटरगंज मस्जिद ग्वालटोली से बड़ी करबला नवाबगंज तक बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे, बूढ़े व अकीदतमंदों ने (सफर-ए-इश्क) पैदल जुलूस निकाला। इस दौरान अकीदतमंदों ने मातम और नौहाख्वानी की। मजलिस में नारे हैदरी और या हुसैन की सदायें बुलंद होती रहीं।  

मौलाना अलमदार हुसैन ने अपने संबोधन में कहा कि आज के दिन लाखों लोग कर्बला इराक में 80 किलोमीटर का सफर तय करके हजरत इमाम हुसैन के रौजे पर कर्बला पहुँचते हैं, इसी तर्ज पर बड़ी कर्बला तक पैदल चलकर अपने इमाम से अपना लगाव जाहिर किया गया। 

उन्होंने कहा कि उस वक़्त के जालिम बादशाह यजीद ने हजरत इमाम हुसैन का चेहल्लुम करने और उनके रौजे तक जाने पर पाबंदी लगा दी थी, इसी प्रतिबंध के खिलाफ पूरी दुनिया के लोग कर्बला पहुँचते हैं और हजरत इमाम हुसैन का चेहल्लुम मनाते हैं। 

कमेटी के चेयरमैन शहाब रिजवी ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में अमन और शांति का पैगाम देना है। उन्होंने कहा कि हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला के मैदान में इंसानियत को बचाने का पैगाम दिया था। 

इस अवसर पर नायाब आलम, दानिश रिजवी, मोहम्मद जकी, मोहम्मद रजा, शारिब अब्बास, जमील हुसैन, सआदत रिज़वी, वहदत काजमी, नजर अब्बास, आमिर अब्बास, शाहिद अली, अफताब हुसैन आदि मौजूद रहे।

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