IPSEF ने प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर फोरम बनाने की मांग की, कहा- मंत्री से लेकर अधिकारी तक नहीं सुन रहे हैं कर्मचारियों की समस्या

IPSEF ने प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर फोरम बनाने की मांग की, कहा- मंत्री से लेकर अधिकारी तक नहीं सुन रहे हैं कर्मचारियों की समस्या

लखनऊ, अमृत विचार।  इण्डियन पब्लिक सर्विस इम्प्लाईज फेडरेशन (IPSEF) ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर बड़ा सवाल किया है। इप्सेफ की तरफ से भेजे गये पत्र में कहा गया है कि प्रधानमंत्री जी बतायें कि कर्मचारी संगठन अपनी पीड़ा किसके समक्ष रखे। केन्द्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यों के मंत्री और अधिकारी, कर्मचारी संगठनों की समस्या पर बैठक या वार्ता नहीं करते। जिससे सालों से कर्मचारियों की समय जस की तस बनी हुई है।

इण्डियन पब्लिक सर्विस इम्प्लाईज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र व महासचिव प्रेमचन्द्र ने प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर उनसे आग्रह किया है कि कर्मचारियों की समस्याओं के लिए संगठनों से बात जरूरी है। इसके लिए केन्द्र और राज्यों में फोरम बनाना चाहिए, जिससे कि आये दिन केन्द्रीय व राज्य कर्मचारी संगठनों को आन्दोलन करने के लिए बाध्य न होना पड़े। आन्दोलन के बाद भी कोई सुनवाई नहीं होती है उल्टे कर्मचारी नेताओं को दण्डित कर दिया जाता है।

वीपी मिश्र ने बताया कि पुरानी पेंशन बहाली सहित अन्य मांगों पर आपसी बातचीत करके समस्या का हल निकालना चाहिए, लेकिन खेद है कि मंत्री, अधिकारियों ने संगठन से बातचीत नहीं की। यदि संगठन के पदाधिकारी, अधिकारियों से मिलना चाहता है तो कहा जाता है कि आन-लाइन मिलने के लिए समय मांगे, जबकि पहले व्यवस्था थी कि 3 से 4 के बीच भेंट करने का निर्देश था। कर्मचारियों की समस्या पर बात करने के लिए समय न देना अलोकतांत्रिक है। मुख्यमंत्री एवं मंत्रीगण भी मिलने का समय नहीं देते है।

प्रेमचन्द्र ने कहा कि 20 राज्यों के संगठनों के अध्यक्ष और महामंत्री ने बीते माह अपनी पीड़ा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर बताई थी, लेकिन उनके प्रयास के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है, जिससे देश भर के कर्मचारी 2 अक्टूबर से सत्याग्रह करने जा रहे है। उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की है कि इप्सेफ के पदाधिकारियों से भेंट करने का समय प्रदान करे। जिससे की कर्मचारियों की समस्याओं से उन्हें अवगत कराया जा सके। उन्होंने बताया कि इप्सेफ प्रधानमंत्री से मिलकर समस्याओं का सार्थक निर्णय कराना चाहता है।

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