UP News: खुद करें अपने स्कूल जाते बच्चों की सुरक्षा, स्कूल नहीं लेता कोई जिम्मेदारी

UP News: खुद करें अपने स्कूल जाते बच्चों की सुरक्षा, स्कूल नहीं लेता कोई जिम्मेदारी

लखनऊ, अमृत विचारः शहीद पथ पर शुक्रवार को स्कूली वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। जिसकी वजह से वैन में बैठ बच्चे बुरी तरह से घायल हो गए, लेकिन इसके पीछे कोई एक जिम्मेदार नहीं बल्कि प्रदेश की पुलिस, अभिभावक, स्कूल प्रशासन, आरटीओ सब जिम्मेदार हैं। यह इन सब की लापरवाही है। आए दिन सड़कों पर देखा जाता है की किस तरह प्रइवेट वाहन, ई-रिक्शा में बच्चों को भरा जाता है, लेकिन इसके खिलाफ कोई बोलने वाला नहीं है, सभी जिम्मेदार आंखें मूंद कर बैठे हुए हैं।

परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह के निर्देश पर पिछले कुछ समय से पुलिस की ओर से स्कूली वाहनों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। जैसे की अभियान सुस्त पड़ा प्राइवेट कार, ऑटो, ई-रिक्शा बच्चों को लेकर एक बार फिर सड़कों पर दौड़ पड़ी। शहीद पथ पर हुआ हादसा इसका जीता जागता उद्धारण है की किस तरह से अपनी आमदनी के लिए लोग मानकों के विरुद्ध जा कर मासूमों की जान को खतरे में डाल रहे हैं। जहां एक ओर आरटीओ प्रवर्तन को सजक होने की जरूरत है, तो वहीं दूसरी और माता-पिता को भी अपने बच्चों के प्रति थोड़ी जिम्मेदारी दिखाने की जरूरत है बिना किसी जांच-पड़ताल के अपने बच्चों को प्राइवेट वाहनों, ई-रिक्शा जैसे असुरक्षित वाहनों में स्कूल भेजें। 

अगर स्कूली वैन, बसों और अन्य प्राइवेट वैन, ई-रिक्शा की चैकिंग अच्छे से की जाए तो इस तरह के हादसे रोके जा सकते हैं। जब भी इस तरह के हादसे होते हैं, तो सबसे पहले स्कूल प्रशासन अपाना पल्ला झाड़ लेता है। जबकी अगर बच्चा आपके स्कूल में पढ़ रहा है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी आपकी होती है कि बच्चे किस तरह से आ और जा रहे हैं। परिवहन विभाग की ओर से स्कूली वाहनों पर कार्रवाई की जाती है, लेकिन इसके बाद जो संस्तुति की जाती है, उसमें भी डीआईओएस स्तर पर लापरवाही बरती जाती है।

स्कूली बच्चे वैन के हवाले
स्कूली वाहन के रूप में राजधानी में लगभग पांच हजार प्राइवेट वाहन है। इसमें शहरी इलाके में तीन हजार और ग्रामीण क्षेत्रों में दो हजार से अधिक प्राइवेट वाहन चल रहे हैं। जिनमें वैन व ईको की संख्या सबसे ज्यादा है। ये स्कूली वाहन कई बार मानक तक पूरे नहीं कर पाते हैं। इनमें न तो सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, न वाहनों पर ड्राइवर, स्कूल आदि का नाम और नंबर लिखा होता है। एमरजेंसी के लिए न ही कोई फर्स्ट एड किट होती है। ऐसे में माता-पिता बच्चों को स्कूल राम भरोसे ही भेज रहे हैं। 

रद्द होगा पंजीकरण
आरटीओ प्रवर्तन संदीप कुमार पंकज ने बताया कि प्राइवेट वाहन का पंजीकरण रद्द किया जाएगा, जो बच्चों को लेकर जा रहे हैं। इसके साथ ही मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब ने एक नई पहल की है। इसके जरिए स्कूली बच्चों को सुरक्षित परिवहन के लिए मिशन भरोसा एप चलाया जाएगा। जिससे चालकों, वाहन स्वामी और अभिभावकों को जोडा जाएगा। 

क्या हैं स्कूली वाहनों के मानक
- स्कूली वाहन पीले रंग के होना चाहिए।
- वाहन पर आगे-पीछे ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना चाहिए।
- वाहन की खिड़कियों पर लोहे की ग्रिल लगी होनी चाहिए।
- आग बुझाने के लिए अग्निशमन यंत्र होना चाहिए।
- इमरजेंसी नंबर लिखे होना चाहिए।
- वाहन में डाइवर के साथ एक सहायक अनिवार्य रूप से होना चाहिए।
- दरवाजे पर लॉक सिस्टम लगा होना चाहिए।
- फर्स्ट एड बाक्स जरूर होना चाहिए।
- स्पीड गवर्नर लगा हो।
- ड्राइवर का डीएल बना होना चाहिए। 
- जीपीएस या सीसीटीवी कैमरा लगा होना चाहिए।
- ड्राइवर का पुलिस वेरीफिकेशन जरूर कराना चाहिए।

अभिभावक है मजबूर
प्राइवेट स्कूल हर तरह से अपनी मनमानी करती है, जिसका खामियाजा अभिभावकों को झेलना पड़ता है। अभिभावक संघ ने 2009 में एक पत्र लिख सीएम से मांग की थी। परिवहन विभाग की ओर से स्कूली बसें चलाई जाएं। जिससे अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने में सुरक्षित महसूस करें। इसे सरकार ने मांग भी लिया था, लेकिन प्राइवेट स्कूल वालों ने बच्चों का डेटा ही नहीं दिया। वे बस अपनी मनमानी करने में लगे हुए हैं। जल्द ही अभिभावक संघ इस पर कदम उठाएगा। 
-प्रदीप कुमार, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश अभिभावक संघ

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