सरकारी जमीनों पर कब्जे के बाद फर्जीवाड़ा : फर्जी आधार-पैन से बैंक खाता खुलवा बेंच डाली ग्राम सभा की जमीन

पीड़ित सर्राफा कारोबारी ने आर्थिक अपराध शाखा से की लिखित शिकायत

सरकारी जमीनों पर कब्जे के बाद फर्जीवाड़ा : फर्जी आधार-पैन से बैंक खाता खुलवा बेंच डाली ग्राम सभा की जमीन

अमृत विचार, लखनऊ। राजधानी में एक जालसाज ने अलग-अलग नाम से आधार-पैन जारी कराकर कई फर्जी फर्म के जरिए सरकारी जमीनों पर कब्जा कर उन्हें बेंच दिया। इसके साथ ही जालसाज ने लोगों से ठगी का करोड़ों का साम्राज्स स्थापित कर लिया है। मंगलवार को ठगी का शिकार हो चुके सर्राफा कारोबारी ने  यह आरोप लगाते हुए आर्थिक अपराध शाखा, पुलिस आयुक्त व आयकर आयुक्त को लिखित शिकायत देकर मामले की जांच कराए जाने की मांग की है।

देवेंद (1)

गौरतलब है कि ठाकुरगंज थाना अंतर्गत सराय माली खां निवासी सर्राफ देवेंद्र रस्तोगी की चौक गोल दरवाजा के पास आभूषणों की दुकान हैं। लिखित शिकायत में पीड़ित ने बताया कि एक जालसाज ने सरोजनीनगर के गहरु गांव में हाइवे-किनारे जमीन दिलाने के नाम पर 52 लाख रुपये लिए थे। रुपये देने के बाद सर्राफ को न तो जमीन मिली और न ही रुपये वापस मिले। पीड़ित सर्राफ का कहना है कि इस सम्बन्ध में उसने सम्बन्धित थाने में भी जालसाज के खिलाफ लिखित शिकायत की। बावजूद इसके पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। जिसके बाद सर्राफ ने आरटीआई ( सूचना का अधिकार अधिनियम) के जमीन की वास्तविकता पता की, तो पता चला कि जालसाज ने रजिस्ट्री कार्यालय में कार्यरत बाबूओं की मिलभगत से जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार किए, फिर एक ही खसरा नंबर पर कई लोगों को ग्रामसभा की जमीन बेच डाली। सर्राफ का कहना है कि पूर्व में भी जालसाज निजी और सरकारी बैंक फ्रॉड के मामले में जेल जा चुका है। उसके खिलाफ सरोजनीनगर, कृष्णानगर कोतवाली में धोखाधड़ी के अपराधिक मुकदमें दर्ज हैं।

फर्जी दस्तावेज लखनऊ

 फर्जी आधार-पैन से खोला बैंक खाता

 सर्राफ देवेंद्र रस्तोगी ने बताया कि हाल ही में जालसाज ने बाराबंकी जनपद में भी सरकारी जमीन पर कब्जा कर उसे बेच दिया है। इस बात की भनक लगते ही सर्राफ ने मामले की तस्दीक की तब हैरान कर देने वाली बात सामने आई। पीड़ित सर्राफ का आरोप है कि जालसाज ने अपने नाम से दो आधार-पैन जारी कर लोगों से ठगी कर रहा है। इसके बाद सर्राफ ने जालसाज के खिलाफ कई अहम साक्ष्य भी एकत्र किए हैं, जिसके आधार पर जमीनों का एक फर्जीवाड़ा खुलकर आ सकता है। बशर्ते मामले की उच्चस्तरीय जांच हो जाए। मामले की जांच कराए जाने को लेकर सर्राफ ने आर्थिक अपराध शाखा, पुलिस आयुक्त व आयकर आयुक्त से मदद की गुहार लगाई है।

 

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