Exclusive: एमडीएम के नमूने होते रहे फेल, तब भी नौनिहालों की सेहत से हुआ खेल

शिक्षा विभाग, कार्यदायी संस्था की मिलीभगत से कराता रहा भोजन का वितरण

Exclusive: एमडीएम के नमूने होते रहे फेल, तब भी नौनिहालों की सेहत से हुआ खेल

कासगंज, गजेंद्र चौहान। बेसिक शिक्षा विभाग में कमीशन का खेल लंबे समय से चल रहा है। कार्यदायी संस्था की मनमानी हावी रही। समय-समय पर खाद्य सुरक्षा विभाग नमूने लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला भेजता रहा। इन नमूनों की जांच के बाद रिपोर्ट भी आई। इसमें तमाम नमूने फेल भी हुए, लेकिन इसके बावजूद भी बेसिक शिक्षा विभाग कार्यदायी संस्था की मिली भगत से राशन का खेल करता रहा और अब जब व्यवस्था की झोल सामने आई है तो फिर खलबली दिखाई दे रही है। 

खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से संस्था को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। नमूने फेल होने पर भी अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी होता रहा है, लेकिन फिलहाल जिले में तैनात जिला अभिहित अधिकारी की तैनाती से पहले ही अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी होने का दावा किया गया है।ऐसे में वर्तमान अधिकारियों पर भले ही उंगली ने उठ रही हो, लेकिन तत्कालीन अधिकारी कटघरे में खड़े दिखाई दे रहे हैं। 

कारण है कि नमूने फेल होने के बावजूद भी आखिर राशन वितरण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र कैसे जारी किया जाता रहा और रिपोर्ट मिलने के बावजूद भी बेसिक शिक्षा विभाग किस आधार पर कार्यदायी संस्था को मध्यान्ह भोजन वितरण व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपे रहा। खाद्य सुरक्षा विभाग के तत्कालीन अधिकारियों के साथ ही बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी भी जांच के दायरे में दिखाई दे रहे हैं। इनकी मनमानी सरकारी स्कूलों और अर्धसरकारी स्कूलों के बच्चों की सेहत के लिए खतरा बनी हुई है। 

हालांकि, अब सुमंत कुमार माहेश्वरी इंटर कॉलेज में जब 56 विद्यार्थियों के बीमार होने के बाद जांच की प्रक्रिया शुरू हुई है तो खलबली मची है। खाद्य सुरक्षा विभाग ने पिछले डेढ़ साल में भेजे गए नमूनों की आई रिपोर्ट से उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया है। बताया गया है कि पिछले डेढ़ साल में 44 नमूने जांच के लिए भोजन के भेजे गए। इनमें से 16 नमूने फेल हो गए। पाया गया कि इनमें तमाम गड़बड़ी हुई है। गुणवत्ता युक्त भोजन वितरण नहीं किया गया। 

निकाली गई पुरानी सर्वे रिपोर्ट
 
जब गुरुवार को सुमंत कुमार माहेश्वरी इंटर कॉलेज में विद्यार्थियों की सेहत खराब होने का मामला सामने आया तो अब खाद्य सुरक्षा विभाग ने पुरानी सर्वे रिपोर्ट निकाली है। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 46 में से 16 नमूने फेल होने का आंकड़ा सामने आया है। यह एक बड़ी लापरवाही दर्शाता है।

शिक्षा विभाग ने नकारा तो खाद्य सुरक्षा विभाग ने स्वीकारी रिपोर्ट

दोनों विभाग एक दूसरे के पाले में गेंद फेंक रहे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। जबकि खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट भेजी जाती रही। ऐसे में अब यह जांच का विषय है कि शिक्षा विभाग लापरवाह बना रहा है या खाद्य सुरक्षा विभाग की लापरवाही से बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ होता रहा।

पिछले डेढ़ साल में 46 नमूने जांच के लिए भेजे गए, जिसमें से 16 नमूने फेल हुए। इनमें गड़बड़ी पाई गई। यह रिपोर्ट सर्वे के आधार पर भेजे गए नमूने की है। समय-समय पर बेसिक शिक्षा विभाग को रिपोर्ट भेजते रहे। अब फिर से पत्र जारी कर रहे हैं। आनंद देव, जिला अभिहित अधिकारी, खाद्य सुरक्षा विभाग

हमें फिलहाल कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। फिर भी हम जानकारी करेंगे कि शायद एक-दो दिन पहले ही कोई रिपोर्ट भेजी गई हो। डाक में रिपोर्ट दिखवाएंगे। उसके बाद उसका अवलोकन कर उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट देंगे। गौरव सक्सेना, जिला समन्वयक मध्यान्ह भोजन, बेसिक शिक्षा विभाग

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