प्रयागराज: डीआईओएस को वरिष्ठता सूची में हस्तक्षेप करने का कोई स्वप्रेरणा अधिकार नहीं- HC
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रबंध समिति द्वारा वरिष्ठता सूची में जिला विद्यालय निरीक्षक के हस्तक्षेप के अधिकार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम या अन्य किसी भी कानून में ऐसा कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है जो जिला विद्यालय निरीक्षक को किसी भी संस्थान की प्रबंध समिति द्वारा जारी वरिष्ठता सूची में हस्तक्षेप कर कार्यवाहक प्रधानाचार्य नियुक्त करने का अधिकार देता हो। उक्त आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने सी/एम कुंवर रुकुम सिंह वैदिक इंटर कॉलेज और अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया।
दरअसल, कॉलेज की प्रबंध समिति ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर डीआईओएस,बदायूं द्वारा जारी संशोधित वरिष्ठता सूची को चुनौती दी थी। डीआईओएस ने प्रबंध समिति द्वारा जारी वरिष्ठता सूची को खारिज करते हुए एक नई वरिष्ठता सूची जारी की और संस्था के प्रधानाचार्य के पद पर तीसरे पक्ष की नियुक्ति का निर्देश दिया। कोर्ट ने याचियों की अधिकारिता को बरकरार रखते हुए स्पष्ट किया कि विनियमन 3 जिला विद्यालय निरीक्षक को किसी भी संस्था की प्रबंध समिति द्वारा प्रकाशित वरिष्ठता सूची में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं देता है।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम,1921 के विनियमन 3(1) (एफ) में प्रावधान है कि अपने वरिष्ठता के निर्धारण से व्यथित कोई भी व्यक्ति क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक के समक्ष अपील दाखिल कर सकता है और अपीलीय प्राधिकारी अपने अपीलीय क्षेत्राधिकार का प्रयोग करते हुए उचित आदेश पारित कर सकता है। कोर्ट ने माना कि क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक को वरिष्ठता सूची में हस्तक्षेप करने का कोई स्वप्रेरणा अधिकार नहीं दिया गया है और आक्षेपित आदेशों को निरस्त कर दिया।
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