पीलीभीत: चार माह पहले खत्म हुए टेंडर, फिर भी नगरपालिका की ओर से आउटसोर्स पर रखे कर्मचारियों से लिया जा रहा काम, उठ रहे सवाल

पीलीभीत: चार माह पहले खत्म हुए टेंडर, फिर भी नगरपालिका की ओर से आउटसोर्स पर रखे कर्मचारियों से लिया जा रहा काम, उठ रहे सवाल

पीलीभीत, अमृत विचार। नगरपालिका की ओर से आउटसोर्स पर रखे सफाई कर्मचारियों का ठेका चार माह पहले समाप्त हो चुका है, लेकिन करीबियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से अभी तक टेंडर नहीं किया गया। बिना टेंडर के ही आउटसोर्सिंग के कर्मचारियों के ठेकेदारों को भुगतान किया जा रहा है। मगर टेंडर नहीं किया गया है। हालांकि अफसर आचार संहिता होने के चलते टेंडर न हो पाने की बात कह रहे हैं। सवाल ये है कि आचार संहिता हटे हुए भी एक माह से अधिक समय बीत चुका है। उसके बाद भी टेंडर प्रक्रिया शुरु नहीं की गई है।
                
बता दें, कि शहर में कुल 27 वार्ड हैं, जिसमें 59 मोहल्ले और 21 कॉलोनियां हैं। इसके अलावा मुख्य बाजार हैं, जहां की सफाई व्यवस्था को दुरूस्त रखने के लिए नगर पालिका के पास 172 सरकारी और 180 आउटसोर्सिंग सफाई कर्मचारी कार्यरत हैं। इसके अलावा 30 चालकों को भी आउटसोर्स पर रखा गया है। इस आउटसोर्स पर नगरपालिका कार्यालय में कार्यरत कम्प्यूटर ऑपरेटरों को भी रखा गया है। 

शासन की गाइडलाइन के अनुसार सफाई कर्मचारियों को 366 रुपये के प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय मिलने का प्रावधान है। वहीं चालकों के लिए 430 रुपये का भुगतान देय करने का नियम है। पालिका की नई सरकार बनने के बाद वर्ष 2023 में टेंडर को लेकर काफी जदोजहद चलती रही। लेकिन इसके बाद नगरपालिका की ओर से अपने करीबी मोहित इंटरप्राइजेज की फर्म को यह टेंडर दिया गया। 

हालांकि इससे पहले यह ठेका ग्लैक्सी इंटरप्राइजेज और दूसरा ठेका कासिफ खान की फर्म का दिया गया था। यह टेंडर वित्तीय वर्ष 2022-23 में हुआ था। इसके बाद मोहित इंटरप्राइजेज की फर्म को मिला था। पालिका की ओर एक साल का ही टेंडर किया गया था। जोकि मार्च 2024 में समाप्त हो गया। टेंडर समाप्त होने के बाद नगरपालिका के अफसरों ने आचार संहिता का हवाला देते हुए टेंडर की समय सीमा एक माह के लिए बढ़ा दी गई थी। 

मगर आचार संहिता समाप्त होने के बाद भी टेंडर प्रक्रिया को लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं दिख रही है, जोकि नियमानुसार गलत है। ऐसे में पुरानी फर्म को ही बिना टेंडर हुए ही भुगतान किया जा रहा है। आरोप यह भी है कि फर्म के कुछ लोग कर्मचारियों को मनमर्जी तरीके से भुगतान कर रहे हैं। इतना ही नहीं कई कर्मचारी बिना काम के ही भुगतान ले रहे हैं। जोकि सिर्फ कागजों में ही काम कर रहे है। मगर धरातल पर वह गायब है। सांठगांठ के चलते कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है।

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