प्रयागराज: रिश्वत लेने के मामले में आरोपी को मिली जमानत
प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस उपनिरीक्षक के साथ मिलकर रिश्वत लेने के मामले में बिना किसी ठोस सबूत के 5 महीने से कारावास की सजा झेल रहे नामजद आरोपी को सशर्त जमानत दे दी। उक्त आदेश न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की एकल पीठ ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धाराओं के तहत आरोपी ऋषिपाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया।
मामले के अनुसार शिकायतकर्ता प्रेमपाल ने आरोप लगाया कि आईपीसी के तहत एक मामले में पुलिस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए देवेंद्र सिंह (उपनिरीक्षक) ने 50 हजार की मांग की, लेकिन मामला 40 हजार पर तय हुआ और 29 जनवरी 2024 को 500 रुपए के करेंसी नोटों में 20 हजार की रिश्वत राशि उक्त पुलिस उपनिरीक्षक को सौंपी गई, जिसके बाद वर्तमान याची को धनराशि सौंप दी गई।
इसके बाद पुलिस निरीक्षक प्रवीण सान्याल, एसीओ द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धाराओं के तहत पुलिस स्टेशन एंटी करप्शन, बरेली में मामला पंजीकृत किया गया। याची से बरामदगी के बाद रिश्वत राशि के रूप में लिए गए पैसों की फोरेंसिक जांच के परिणाम के अनुसार याची आरोपी सिद्ध हुआ। हालांकि याची के अधिवक्ता का तर्क था कि आवेदक को झूठा फंसाया गया है और अधिनियम, 1988 की धारा 13 (1)(बी) के साथ 13 (2) के प्रावधानों को याची के मामले में लागू नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वह एक लोक सेवक नहीं है और उक्त अधिनियम की धारा 12 के प्रावधान के अनुसार याची द्वारा अपराध में उकसावे का अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता है, क्योंकि किसी भी बयान के द्वारा अपराध को अंजाम देने के लिए याची द्वारा उकसाने की बात सामने नहीं आई है।
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