डिजिटल हाजरी से खुश अभिभावक, कहा- छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए सहायक

डिजिटल हाजरी से खुश अभिभावक, कहा- छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए सहायक

Highlight
-शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति के विरोध में मुखर हुए अभिभावक 
- सरकार के फैसले को बताया सराहनीय, बोले स्कूलों में अनिवार्य हो सीसीटीवी 

सांडा/सीतापुर,अमृत विचार। प्रदेश सरकार ने परिषदीय विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति का फरमान शिक्षकों की गले की फांस बनता जा रहा है। जिले से लेकर प्रदेश स्तर तक शिक्षक जहां आदेश को वापस लेने को लेकर लामबंद है। वहीं 20 फीसदी शिक्षक सरकार के इस फैसले से इत्तेफाक रखते है, लेकिन शिक्षकों के आंदोलन के चलते सभी शिक्षक मुखर होकर लामबंद है। बावजूद इसके सरकार के फैसले का ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश अभिभावक डिजिटिल उपस्थिति का समर्थन करते नजर आ रहे है। 

मालूम हो कि परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले अधिकांश छात्र-छात्राएं ग्रामीण परिक्षेत्र से आते है। ग्रामीण क्षेत्र के अभिभावक ऑनलाइन हाजिरी के समर्थन में दिखाई दे रहा है। ग्रामीण अभिभावकों का शिक्षक-शिक्षिकाओं की ऑनलाइन उपस्थिति को लेकर कहना है कि यह आदेश उस शिक्षकों के लिए दिक्कते खड़ा कर सकता है, जो अध्यापक विद्यालय में बच्चों को जुगाड़ लगाकर कम पढ़ाने आते हैं और समय का भी ध्यान नहीं रखते हुए महज खानापूर्ति करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करते है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार की इस पहल से अध्यापकों की लेट-लतीफी दूर होगी और और उन अध्यापकों की पोल खुलेगी जो अपनी जिम्मेदारी से विरत रहते हैं। इसके साथ ही जो अध्यापक पहले से जिम्मेदारी के प्रति सजग रहते है, उनको पहले भी कोई समस्या नहीं थी और न अब है। छात्रों के अभिभावकों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा का स्तर बढ़ाने के साथ ही बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए डिजिटल उपस्थिति के साथ विद्यालयों में सीसीटीवी कैमरे भी सरकार को लगवाने के ठोस कदम उठाने चाहिए। 

क्या कहते हैं अभिभावकों

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सरकार को शिक्षा विभाग के साथ-साथ अन्य विभागों में भी ऑनलाइन हाजिरी लागू करना चाहिए। जिससे कार्यालयों से नदारद रहने वाले सभी सरकारी कर्मचारियों की पोल खुलेगी। सभी अध्यापक एक जैसे नहीं हैं, लेकिन कुछ हैं जो बिना सूचना के भी विद्यालय से नदारद रहते हैं और वेतन पूरे महीने का ले लेते हैं। सरकार का फैसला सराहनीय है।
- प्रमोद कुमार वर्मा (निवासी पचदेवरा)

सरकार द्वारा ऑनलाइन हाजिरी लागू होने पर विद्यालय में अध्यापकों की गैरहाजिरी पर किसी उच्च अधिकारियों को जांच करने की जरूरत नहीं होगी और अध्यापकों के ऊपर विद्यालय में पढ़ाने न आने का आरोप भी नहीं लगेगा। एक प्रकार से सभी के हित में है। शिक्षकों को विरोध नहीं करना चाहिए। इससे हम गांव वालो के बच्चों में भी शिक्षा का स्तर बढ़ेगा।
- नासिर हुसैन (निवासी ग्राम लखनियापुर)

जिले में कुछ अध्यापक तो लखनऊ से पढ़ाने आते थे, वह भी हफ्ते में केवल एक बार हाजिरी लगाने के लिए आते है। ऑनलाइन हाजिरी से उनको भी रोजाना आना होगा। ऐसी स्थिति में पठन पाठन की प्रक्रिया भी सुचारू रूप चलेगी। जिससे बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलेगी। मेरे कहने का अर्थ सभी अध्यापक एक जैसे नहीं हैं, लेकिन कुछ ऊंची पहुंच के चलते ऐसा करते हैं। ऑनलाइन हाजिरी के साथ विद्यालय में सीसीटीवी कैमरों की भी व्यवस्था होनी चाहिए। 
- अजय सिंह (निवासी जहांगीराबाद)

सरकारी विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति अनिवार्य रूप से लागू होनी चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में जो विद्यालय बने हुए हैं, वहां अधिकांश देखा जाता है कि एक विद्यालय पर जितने अध्यापकों की नियुक्ति रहती है। ऐसा कभी कभार होता है जो एक साथ सभी उपस्थित होते हों वरना अधिकांश लोग नदारद जरूर रहते हैं। शिक्षमित्रों के सहारे स्कूल संचालित होते है।

- विशंभर भार्गव (निवासी कुतुबापुर )

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