लखनऊ: निजी बैंक के एमडी समेत तीन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज, जानें पूरा मामला
गोमतीनगर थाने में दिल्ली की कंपनी के पूर्व निदेशक ने दिया प्रार्थना-पत्र
लखनऊ, अमृत विचार। राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर थाने में दिल्ली की एक्सिस बैंक के एमडी अमिताभ चौधरी, वीआइआइएल कंपनी के निदेशक समेत तीन के खिलाफ शुक्रवार को धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज की गई। विशालखंड निवासी शिव सेवक सिंह ने बैंक के एमडी समेत तीनों पर उनके फर्जी हस्ताक्षर और दस्तावेज से 30 करोड़ रुपये लोन लेने का आरोप लगाया है।
इंस्पेक्टर दीपक पांडेय के मुताबिक शिव सेवक सिंह ने प्रार्थना-पत्र दिया। बताया उन्होंने 1997 में वीआइआइएल कंपनी के निदेशक नौशाद अहमद के साथ विजय एक्सप्रेस-वे इंजीनियर्स नाम से फर्म शुरू की थी। कंपनी का ऑफिस दिल्ली में बनाया था। वर्ष 2006 में कंपनी का नाम बदलकर मेसर्स विजय इंफ्रास्ट्रक्चर कर दिया। वर्ष 2011 में फिर से कंपनी का नाम बदलकर वीआइआइएल कर दिया।
शिव सेवक का कहना है कि कंपनी में वह और नौशाद अहमद दोनों ही डायरेक्टर थे। इसके बाद एक्सिस बैंक की नई दिल्ली शाखा से कंपनी के नाम से 30 करोड़ रुपये का लोन लिया गया। इसमें पांच करोड़ नगद और 25 करोड़ बैंक गारंटी के रूप में 17 जुलाई 2008 में मंजूद किया गया। कंपनी निदेशक होने के चलते गारंटी भी ली थी। इसके बाद वर्ष 2011 में शिव सेवक ने कंपनी से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा के साथ ही व्यक्तिगत गारंटी भी खत्म हो गई थी। इसका एक पत्र बैंक को भी दिया था। इस्तीफे के बाद उन्होंने कंपनी से जुड़े दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं किए।
24 जनवरी 2019 को एक्सिस बैंक द्वारा ऋण बकाये के संबंध में मांग की गई। तब भी बैंक को जवाब दिया कि उन्होंने कोई व्यक्तिगत गारंटी इस्तीफा देने के बाद नहीं ली है। उन्होंने पूर्व में बैंक को पत्र भेजकर गारंटर लिस्ट से नाम हटाने का अनुरोध किया था। निदेशक रहने के दौरान जब कंपनी दीवालिया हुई थी तब भी उन्होंने बैंक को पत्र भेजा था।
उनका कहना है कि वह कंपनी के पूर्व निदेशक हैं। आरोप है कि कई बार पत्र लिखने के बाद भी एक्सिस बैंक ने उन्हें ऋण संबंधी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराये। पत्रों में ऋण लेने व नवीनीकरण के लिये दिये कागजातों पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं। कागजात पर जो उनके हस्ताक्षर बताये जा रहे हैं ,वह फर्जी हैं।
दस्तावेजों में उन्हें एक्सिस बैंक के क्रेडिट अफसर अमित गर्ग, एमडी अमिताभ चौधरी के भी हस्ताक्षर मिले। उन्होंने संयुक्त पुलिस आयुक्त कानून एवं व्यवस्था से मिलकर पूरा मामला बताया। आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिये प्रार्थना-पत्र दिया था। जेसीपी के आदेश पर पुलिस ने जांच में मिले तथ्यों के आधार पर तीनों आरोपियों पर रिपोर्ट दर्ज की है।
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