रामपुर: मिस्टन गंज से निकला जरीह का जुलूस, राजद्वारा-नवाबगेट व गांधी समाधि होते हुए पहुंचा इमामबाड़ा खासबाग

रामपुर: मिस्टन गंज से निकला जरीह का जुलूस, राजद्वारा-नवाबगेट व गांधी समाधि होते हुए पहुंचा इमामबाड़ा खासबाग

रामपुर, अमृत विचार। शहीदे कर्बला हजरत इमाम हुसैन की याद में शहर के बाजार मिस्टन गंज से शनिवार को 4:30 बजे जरीह का जुलूस निकला। जो राजद्वारा, नवाबगेट, गांधी समाधि, राहे रजा, राहे जुल्फिकार होते हुए इमामबाड़ा खासबाग पहुंचा। जरीह के जुलूस में स्थानीय अंजुमनों ने नोहाख्वानी और मातम किया। इससे पहले जरीह को नवाबजादा हैदर अली खां उर्फ हमजा मियां ने कांधा दिया।

शहर के व्यस्तम बाजार मिस्टन गंज से जरीह का जुलूस बरामद हुआ। जरीह के जुलूस में आगे-आगे नन्हें-मुन्ने अजादार अलम थामे चल रहे थे उनके पीछे मातमी अंजुमने नोहाखनी करती चल रही थीं। मिस्टन गंज चौराहे पर असलम महमूद और इफ्तेखार महमूद ने नवाब रजा अली खां का लिखा हुआ यह नोहा पढ़ा-बोली माता मुख छुपायो हाय-हाय, लौट के असगर न आयो हाय-हाय, लाज रख ली तुमने मोरे दूध की, मुस्कुरा कर बाण खायो हाय-हाय। 

स्टार चौराहे पर यह नोहा पढ़ा- मुझे भी ले चलो बाबा-मुझे भी ले चलो बाबा। इसके बाद इफ्तेखार महमूद ने यह नोहा पढ़ा- देखिए मंजरे कर्बला सैयदा, मर गया आपका लाडला सैयदा, जो गला चूमा करते थे अक्सर नबी चल गई उस पर तेगे जफा सैयदा।

इससे पहले राहे रजा पर हसन मेहंदी ने यह नोहा पढ़ा- अब्बासे अलमबरदार मेरा गाजी, अब्बास अलमबरदार मेरा गाजी, मेरा गाजी। जरीह का जुलूस राजद्वारा, नवाबगेट, गांधी समाधि, राहे रजा, राहे जुल्फिकार होते देर शाम को इमामबाड़ा खासबाग पहुंचा।

जुलूस में मौलाना जमान बाकरी, आरिफ हुसैन, मिर्जा तकी बेग, शबाब हुसैन, कमल रिजवी, राशिद ऐजाज, जुहैर अब्बास, मंसूर मियां, हसीन मियां,  नैयर अब्बास, सैयद मोहम्मद अली जैदी,  समेत भारी तादाद में अकीदतमंद मौजूद रहे। जरीह के जुलूस के साथ भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात रहा।

इमामबाड़ा खासबाग में आज से शुरू होगा अशरा-ए-मजालिस
इमामबाड़ा खासबाग में रविवार से अशरा-ए-मजालिस शुरू होगा।  इमामबाड़ा खासबाग में 11 मोहर्रम तक रोजाना रात 7:45 बजे मजलिस शुरू होगी। 12 मोहर्रम को इमामबाड़ा खासबाग से मेहंदी का जुलूस बरामद होगा इससे पहले 2 बजे मजलिस होगी। इसके अलावा 12 मोहर्रम तक सुबह 7:30 बजे इमामबाड़ा मकबरा जनाबे आलिया, 8:30 बजे इमामबाड़ा किला मर्दाना में मजलिस होगी। मोहर्रम का चांद नजर आते ही घरों पर इमामाबाड़ों को सजाया गया है। हर रोज इमामबाड़ों में मजलिस-मातम का सिलसिला 12 मोहर्रम तक और कुछ इमामबाड़ों में शहीदाने कर्बला के चालीसवें तक चलता रहेगा।

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