Exclusive: मेगा लेदर क्लस्टर की स्थापना पर फिर से लटकी तलवार; जिलाधिकारी की अनुमति बिना खरीदी प्रतिबंधित भूमि

Exclusive: मेगा लेदर क्लस्टर की स्थापना पर फिर से लटकी तलवार; जिलाधिकारी की अनुमति बिना खरीदी प्रतिबंधित भूमि

कानपुर, शिव प्रकाश मिश्र। मेगा लेदर क्लस्टर की स्थापना एक बार फिर फंस गई है। कंपनी के निदेशकों ने मनोह और सपई गांव में जो भूमि खरीदी है उसमें बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। कंपनी ने अनुसूचित जाति के किसानों की भूमि खरीदने से पहले डीएम से अनुमति ही नहीं ली। 

बैनामे के बाद राजस्व अभिलेख भी एसडीएम सदर को सौंप दिए। ऐसे एक दो नहीं बल्कि कई बैनामे हुए हैं जो बिना अनुमति के कराए गए हैं। अब ये बैनामे रद्द हो सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो एक बार फिर से परियोजना मूर्त रूप नहीं ले पाएगी। साथ ही करोड़ों रुपये भी कंपनी के डूब जाएंगे।

मेगा लेदर क्लस्टर डेवलपमेंट यूपी लिमिटेड ने मेगा लेदर क्लस्टर की स्थापना के लिए रमईपुर के पास प्रशासन से ग्राम समाज की 42.02 हेक्टेयर भूमि आठ साल पहले पुनर्ग्रहीत कराई थी। 22 हेक्टेयर भूमि किसानों से खरीदा था। 35.238 हेक्टेयर भूमि ग्राम समाज की सुरक्षित श्रेणी की थी जिसे लेने के लिए इतनी ही भूमि कंपनी किसी और गांव में खरीद कर प्रशासन को देती। इस नियम के तहत पहले कंपनी ने नर्वल तहसील के साढ़ गांव में भूमि खरीद ली थी। 

चूंकि साढ़ गांव नर्वल तहसील में था ऐसे में भूमि की अदला- बदली का कंपनी की ओर से दिया गया प्रस्ताव प्रशासन ने खारिज कर दिया था। परिणाम स्वरूप प्रोजेक्ट आठ साल से मूर्त रूप नहीं ले सका। डीएम के कहने पर कंपनी ने सपई, मनोह समेत तीन गांवों में उतनी ही मालियत की भूमि किसानों से खरीद ली और ग्राम समाज की सुरक्षित श्रेणी की भूमि के बदले प्रशासन को देने का प्रस्ताव दिया। 

प्रस्ताव तो स्वीकार हो गया पर अब जो खुलासा हुआ है उससे भूमि की अदला- बदली का कार्य फंस सकता है। सुरक्षित श्रेणी की भूमि को लेकर क्लस्टर स्थापना का ख्वाब देख रहे कंपनी के डायरेक्टरों के लिए यह किसी बड़े झटके से कम नहीं है। क्योंकि अनुसूचित जाति के लोगों से क्रय की गई भूमि के बैनामे से पहले जिलाधिकारी से अनुमति नहीं ली गई है। 

बिना अनुमति के क्रय की गई भूमि के बदले में प्रशासन कंपनी को ग्राम समाज की सुरक्षित श्रेणी की भूमि नहीं दे सकता है। शासनादेश है कि अनुसूचित जाति, जनजाति के भू स्वामी की भूमि कोई भी अल्पसंख्यक समुदाय या सवर्ण जाति का व्यक्ति तब तक नहीं खरीद सकता है जब तक कि जिलाधिकारी उसे भूमि क्रय करने की अनुमति न दे दें। अगर कोई व्यक्ति बिना अनुमति भूमि क्रय कर लेता है तो उसके बैनामे को जिलाधिकारी शून्य घोषित कर सकते हैं। इस मामले में भी ऐसा ही होने की उम्मीद है।

केंद्र से मिलनी है वित्तीय मदद

क्लस्टर की स्थापना के लिए 125 करोड़ वाणिज्य मंत्रालय देगा। इस राशि से जलापूर्ति, सीवेज, ड्रेनेज, हार्टीकल्चर, प्रशासनिक भवन, डिजाइन लैब, सड़क, चहारदीवारी, स्ट्रीट लाइट, इंटरनल वाटर सप्लाई, इंटरनल स्ट्रोम वाटर ड्रेनेज, आईटी एंड टेली कम्यूनिकेशन, टेस्टिंग लैब, वैल्यू एडीशन सेंटर, हॉस्टल आदि के निर्माण पर आवंटित होना है। 

इसी तरह नमामि गंगे मिशन से 200 करोड़ रुपये कामन इफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट के लिए मिलना है। 50 करोड़ रुपये कामन फैसिलिटी सेंटर के लिए राज्य सरकार से मिलना है। ये वित्तीय मदद फिलहाल फंस जाएगी। धनराशि तभी मिलेगी जब लक्ष्य के अनुरूप कंपनी के पास भूमि होगी।

अनुसूचित जाति के किसानों की भूमि बिना जिलाधिकारी की अनुमति के खरीदने का मामला संज्ञान में आया है। ऐसे में कंपनी को अभी सुरक्षित श्रेणी की भूमि पर कब्जा नहीं दिया जा सकता है। इस संबंध में जिलाधिकारी को अवगत करा दिया है। एक दो नहीं बल्कि कई बैनामे नियम विरुद्ध हैं।– प्रखर कुमार सिंह, एसडीएम सदर

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