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Bareilly News: विवेचक के साथ गवाह कांस्टेबल का गैर जमानती वारंट जारी, चार्जशीट में गलतियां मिलने पर कोर्ट ने जताई नाराजगी
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बरेली, अमृत विचार। पुलिस द्वारा कोर्ट मे भेजे जा रहे आरोप पत्रों में गलतियों को लेकर अदालत ने नाराजगी व्यक्त की है। अपर सत्र न्यायाधीश/स्पेशल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट रवि कुमार दिवाकर ने एडीजी, एसएसपी को पत्र भेजकर अपने अधीनस्थों का मार्गदर्शन करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने एक मामले में गवाह कांस्टेबल सोनिका बालियान व विवेचक सतेंद्र कुमार के विरुद्व गैर जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी कर मामले में सुनवाई के लिए 9 जुलाई की तिथि नियत की है।
इस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इतने गवाहों का मोबाइल नंबर एक होना बड़ी विचित्र स्थिति दर्शाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि विवेचक सतेंद्र कुमार व पर्यवेक्षण अधिकारी/थाना प्रभारी परमेश्वरी व तत्कालीन सीओ आंवला द्वारा अपने विधिक ज्ञान का प्रयोग नही किया गया है। चार्जशीट पर सीओ आंवला के हस्ताक्षर भी अपठनीय हैं। किसी भी तिथि का अंकन ही नहीं किया है।
केवल पेशी कार्यालय में जिस तरह आरोप पत्र सीओ के समक्ष रखा गया, संबंधित सीओ ने उस पर मात्र हस्ताक्षर कर अपने दायित्वों की पूर्ति कर ली। कोर्ट ने पत्र में उल्लिखित किया कि लगभग ये कमियां प्रत्येक प्रकरण मे पायी जाती हैं। कहीं पर भी सीओ का नाम स्पष्ट नहीं होता है, न ही आरोप पत्र भेजने की तिथि अंकित होती है।
ऐसा प्रतीत होता है कि संबंधित जिले में क्षेत्राधिकारियों द्वारा अपने दायित्व एवं कर्तव्यों में घोर लापरवाही बरती जा रही है। कहीं तो आरोप पत्र मे थानाध्यक्ष का नाम भी अंकित नहीं होता है, जिससे गम्भीर मामलों के विचारण में विलंब होता है। विवेचक अपना सीयूजी नंबर दर्ज कर देते हैं। उनका तबादला हो जाने पर उनसे संपर्क नही हो पाता है, जिस वजह से मुकदमे के निस्तारण में अनावश्यक विलंब होता है।