Kanpur: संकट मोचक बने डॉक्टर, बचाई 4 माह की बच्ची की जान, हैलट अस्पताल में बिना ऑपरेशन किया स्वस्थ

Kanpur: संकट मोचक बने डॉक्टर, बचाई 4 माह की बच्ची की जान, हैलट अस्पताल में बिना ऑपरेशन किया स्वस्थ

कानपुर, अमृत विचार। 4 माह की बच्ची को दिल्ली के बड़े निजी अस्पताल ने जवाब दे दिया था। एम्स ने भर्ती करने से मना कर दिया था। लेकिन हैलट अस्पताल के डॉक्टर संकट मोचक बने और बिना सर्जरी किए बच्ची का जीवन बचा लिया। इससे खुश परिजनों ने डॉक्टर्स डे पर इलाज करने वाले डॉक्टरों का सम्मान किया।  

ऑर्डिनेस फैक्ट्री में कार्यरत अरुण पांडे ने बताया कि बेटे अमित और बहू शिप्रा की बेटी का जन्म 17 फरवरी 2024 को दिल्ली के एक नामी अस्पताल में हुआ था। बच्ची साढ़े सात माह में जन्मी थी, तबीयत ठीक नहीं होने पर डॉक्टरों ने जांचें कराई। दो माह तक भर्ती रखा। डेढ़ महीने में बच्ची की दो बार ब्रेन सर्जरी की गई। लेकिन बच्ची की हालत में सुधार नहीं आया तो डॉक्टरों ने जान का खतरा बताते हुए तीसरी बार ब्रेन सर्जरी का सुझाव दिया। 

इस पर परिवार ने तीसरी सर्जरी से इंकार कर दिया। एम्स में भी जब बच्ची को भर्ती नहीं किया गया तो परिजनों ने हैलट अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.यशवंत राव से संपर्क किया। 13 अप्रैल को परिजनों ने बच्ची को हैलट में डॉ.यशवंत राव व डॉ.नेहा अग्रवाल की देखरेख में बाल रोग विभाग में भर्ती कराया। जीएसवीएसएस पीजीई के नोडल व न्यूरो सर्जन डॉ.मनीष सिंह ने वेंटिलेटर पर रखकर बच्ची का इलाज शुरू किया। 

बच्ची अस्पताल में दो माह 17 दिन भर्ती रही। ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ी और स्वस्थ हो गई। एक जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस पर ऑर्डिनेस फैक्ट्री के कर्मचारी नेताओं के साथ बच्ची के परिवार ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला, जीएसवीएसएस पीजीई के नोडल डॉ.मनीष सिंह और डॉ.यशवंत राव समेत पूरी टीम का सम्मान किया। इस दौरान प्रो. संजय काला ने बच्ची का नाम अपराजिता रखा। 

दिमाग में भर गया था मवाद, फेफड़े पड़ गए थे सफेद 

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.यशवंत राव ने बताया कि समय से पहले जन्म के कारण बच्ची के दिमाग की नसें कमजोर थीं, उनमें खून बहने लगा था। दिमाग में पानी भर गया था। ब्रेन सर्जरी में डॉक्टरों ने शंट डाला था। शंट की वजह से बच्ची के दिमाग में मवाद जमने से तकलीफ बढ़ गई थी। उसे निमोनिया था और सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। दोनों फेफड़े सफेद पड़ गए थे।  बच्ची के खाने की नली में भी छेद हो गया था। ऐसे में रीढ़ के पानी से दिमाग में मवाद की स्थिति जांचकर दवा दी गई। बिना सर्जरी के बच्ची को स्वस्थ करके 30 जून को घर भेज दिया गया। 

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