NHM: 3 जुलाई को सभी जिलों में संविदाकर्मी DM को सौंपेंगे ज्ञापन, 1 लाख कर्मचारी पहुंच सकते हैं लखनऊ

NHM: 3 जुलाई को सभी जिलों में संविदाकर्मी DM को सौंपेंगे ज्ञापन, 1 लाख कर्मचारी पहुंच सकते हैं लखनऊ

लखनऊ,अमृत विचार: संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ ने चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर अपनी मांगे रखी हैं। साथ ही यह भी बताया है कि 3 जुलाई यानी बुधवार को सभी जिलों में संघ के प्रतिनिधि जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपेंगे। संघ की तरफ से यह भी कहा गया है कि इसके बाद भी यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वह आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। 15 जुलाई को एक लाख से अधिक संविदा कर्मचारी लखनऊ पहुंचेंगे।

दरअसल, संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ की तरफ से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत संविदा कार्मिकों के लिए स्थानांतरण नीति बहाल करने और उन्हें उनके गृह जनपद में तैनाती देने की मांग का एक पत्र भेजा गया था। उस पत्र में यह भी सूचित किया गया था कि “ यदि दिनांक 30 जून 2024 तक स्थानांतरण की सूचना प्राप्त नहीं होती है, तो 3 जुलाई 2024 को समस्त जनपदों में जिलाधिकारी  के माध्यम से मुख्यमंत्री को संघ की जिला इकाई द्वारा ज्ञापन प्रेषित किया जाएगा, जिसमें उस जनपद में तैनात स्थानांतरण के लिए इच्छुक कार्मिकों की सूची संलग्न होगी।

आरोप है कि दुर्भाग्यवश, अभी तक इस मामले में किसी प्रकार की कार्रवाई  विभाग द्वारा नहीं की गई है।

संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ के महामंत्री योगेश उपाध्याय ने बताया कि 
इसी के चलते 3 जुलाई को सभी  जनपद में DM के माध्यम से संगठन के पदाधिकारी मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित करेंगे फिर भी यदि 14 जुलाई तक विभाग द्वारा इस विषय पर कोई निर्णय नहीं लिया जाता है तो मजबूरन सभी पीड़ित संविदा कर्मी 15 जुलाई को लखनऊ एकत्रित होकर स्वास्थ्य सचिवालय / मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री आवास पर अपना प्रार्थनापत्र देते हुए अनुरोध करेंगे।

उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन वर्ष 2005 से संचालित हो रहा है और वर्तमान समय में इसमें लगभग 1.35 लाख संविदा कर्मचारी कार्यरत हैं। इन कर्मचारियों ने कोविड महामारी के दौरान योगदान दिया है, जिसके लिए सरकार की तरफ से प्रोत्साहित भी किया गया था। लेकिन, इन कार्मिकों को वर्तमान में उत्तर प्रदेश में नीति के अभाव के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें मुख्य रूप से वेतन नीति का न होना और स्थानांतरण नीति का न होना शामिल है।

वेतन नीति के अभाव के कारण वेतन विसंगति व्याप्त है और स्थानांतरण नीति न होने के कारण अल्प वेतन भोगी संविदा कार्मिकों को तैनाती अत्यंत दूर स्थानों पर मिलती है, जिससे उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इन्ही दो प्रमुख समस्याओं के समाधान के समाधान की मांग संविदा कर्मचारी कर रहे हैं। 

गृह जनपद में स्थानांतरण 

पूर्व में दिनांक 10 जून को संघ द्वारा अनुरोध किया था कि, अधिकांश संविदा कर्मचारियों की तैनाती उनके गृह जनपद से 200-500 किलोमीटर दूर होती है, जिसमें अधिकांश महिलाएं भी शामिल हैं। इस दूरी के कारण उन्हें न केवल यात्रा में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, बल्कि वे अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी सही तरीके से निभा पाने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। इस कारण उनका परिवार बिखरा हुआ रहता है और वे अलग-अलग जीवन यापन करने को मजबूर होते हैं। अल्प वेतन के कारण दो अलग-अलग जगहों पर परिवार चलाना अत्यंत कठिन हो जाता है,तथा कार्मिक के आश्रित बुजुर्ग एवं परिवार के इलाज के लिए भी संविदा कर्मी को कार्यस्थल से इलाज कराने में कठिनाई का समान करना पड़ता है, जिस वजह से उन्हें स्थानांतरण का लाभ दिया जाना अत्यंत आवश्यक है।

भारत सरकार के निर्देशानुसार उत्तर प्रदेश में एनएचएम कार्मिकों के लिए एक स्पष्ट स्थानातरण नीति बनाए जाने के लिए निर्देश जारी करना।

2016 से लंबित वेतन विसंगति 

उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत एक ही पद पर विभिन्न कार्यक्रमों में कार्यरत संविदा कार्मिकों का वेतन एक समान नहीं है। वर्ष 2016 से भारत सरकार द्वारा बजट आवंटित किए जाने के बाद भी यह वेतन विसंगति दूर नहीं की गई है। इसके विपरीत, मध्यप्रदेश राज्य में संविदा कार्मिकों के लिए वेतन नीति बनाते हुए इस वेतन विसंगति को दूर कर दिया गया है।

संविदा कार्मिकों के वेतन में इस प्रकार की असमानता न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को प्रभावित करती है, बल्कि उनके मनोबल पर भी प्रतिकूल प्रभाव को डालती है। यह आवश्यक है कि एक समान पद पर कार्यरत सभी संविदा कार्मिकों को समान वेतन दिया जाए, जिससे वे अपने कार्यों को निष्पक्षता और उत्साह के साथ कर सकें।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यरत संविदा कर्मी के लिए वेतन निर्धारण नीति बनाए जाने के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाए। जिसमे वित्त विभाग एवं कार्मिक विभाग के साथ - साथ संघ के प्रतिनिधि को शामिल किया जाए ।

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