बरेली: धर्म-समाज बने रहे मूक दर्शक, प्रशासन की भी लटकी रह गई जांच, आज बंद कर दिया जाएगा आर्य समाज अनाथालय
बरेली, अमृत विचार : बड़ी आस्था के साथ दिखाकर बरेली को नाथ नगरी नाम दिया गया था, लेकिन इसी नाथ नगरी को जब अनाथों के लिए बंद कर दिया गया तो लोग चुप रह गए। धर्म-समाज का प्रतिनिधित्व करने वालों की तरफ से एक आवाज नहीं उठी। प्रशासन की जैसे-तैसे शुरू हुई जांच भी सवालों को जैसे का तैसा छोड़कर अधर में लटकी रह गई। नए साल की शुरुआत ही आर्य समाज अनाथालय में रह रही अनाथ लड़कियों को भारी पड़नी शुरू हो गई थी। फरवरी में तमाम लड़कियों को बाहर निकाले जाने के बाद तीन बालिग लड़कियां रह गईं थीं, उन्हें भी रविवार को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।
इन तीनों लड़कियों को फिलहाल कोई और आसरा नहीं मिला है। तीनों ने प्रशासन को लिखकर भी दिया कि वे अनाथालय से नहीं जाना चाहतीं लेकिन उसका भी कोई नतीजा नहीं निकला। अनाथालय कमेटी के प्रधान ने कुछ समय पहले उनके साथ एक एग्रीमेंट किया था जिसमें 30 जून को अनाथालय छोड़ने पर सहमति जताई गई थी।
इन लड़कियों का कहना है कि उनसे एग्रीमेंट जबरन कराया गया था। असल में यह संभव ही नहीं है कि बिना नए आश्रय और अपनी सुरक्षा के प्रति आश्वस्त हुए बगैर वे अनाथालय छोड़कर कहीं और चली जाएं। मगर अनाथालय की प्रबंध कमेटी की ओर से पहले से ही की गई सारी तैयारी उनके इस तर्क पर भी भारी पड़ गई।
करीब 360 करोड़ की अनुमानित कीमत की 42 बीघा जमीन का स्वामित्व रखने वाले आर्य समाज अनाथालय को बंद करने की तैयारी पिछले साल ही शुरू हो गई थी। साल 2024 की शुरुआत में अनाथालय की जगह गुरुकुल खोलने की घोषणा कर यहां रह रही बालिग और नाबालिग लड़कियों को निकाला जाने लगा।
इस दौरान अनाथालय के प्रधान पर कई लड़कियों से बदसलूकी और आठ साल की बच्ची से छेड़खानी के भी आरोप लगे, लेकिन अनाथालय को बंद करने की मुहिम चलती रही। इस बीच जब यह साफ हुआ कि गुरुकुल खोलने के लिए प्रबंध कमेटी के पास कोई बजट ही नहीं है, न ही उसके लिए कोई योजना तैयार की गई है तो उसकी मंशा पर सवाल उठने शुरू हो गए।
फरवरी में प्रबंध कमेटी ने एक साथ 20 से ज्यादा लड़कियों को बाहर निकाल दिया था। कई लड़कियों के नाबालिग होने के बावजूद उनके निष्कासन के लिए एग्रीमेंट को आधार बनाया गया। पढ़ाई कर रही तीन लड़कियों ने जब उस समय अनाथालय छोड़ने का ज्यादा विरोध किया तो उन्हें 30 जून तक का समय देकर एग्रीमेंट करा लिया गया।
एग्रीमेंट के मुताबिक रविवार को इन लड़कियों का भी अनाथालय में आखिरी दिन होगा। नाथ नगरी में एकमात्र अनाथालय को नियमों के खिलाफ बंद करने का मामला पिछले एक महीने से सुर्खियों में है लेकिन दिखाई जाने वाली आस्था और सच का फर्क यह है कि इस बीच धर्म और समाज का प्रतिनिधित्व करने वालों ने इसमें जरा भी दिलचस्पी नहीं दिखाई।
डीपीओ की सिर्फ इतनी सी जांच... सिर्फ लड़कियों के बयान दर्ज किए, प्रधान को ऐसे ही क्लीन चिट
प्रबंध कमेटी की अनाथालय बंद करने की तैयारी को तब से चिह्नित किया जा सकता है, जब दिसंबर 2022 के बाद उन्होंने बाल कल्याण समिति में रजिस्ट्रेशन का नवीनीकरण नहीं कराया। हालांकि तमाम बालिग और नाबालिग लड़कियां साल भर से ज्यादा समय तक अनाथालय में रहती रहीं लेकिन किसी सरकारी विभाग ने नोटिस देकर नहीं पूछा कि ये लड़कियां अवैध रूप से क्यों रखी जा रही हैं।
डीपीओ इस सवाल पर इतना सा जवाब देती हैं कि सबकुछ नियमानुसार हुआ था। जाहिर है कि अनाथालय को बंद करने की योजना कई अफसरों की पहले से जानकारी में थी। हाल ही में डीएम की ओर से एडीएम प्रशासन को जांच का निर्देश दिए जाने के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग ने जांच शुरू की लेकिन इसे भी खानापूरी में निपटा दिया। विभागीय अधिकारियों ने सिर्फ लड़कियों के बयान दर्ज किए।
इसमें उन्होंने साफ कहा कि वे अनाथालय छोड़ना उनके लिए सुरक्षित नहीं रहेगा, इसलिए वे यहां से नहीं जाना चाहतीं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन पर प्रधान ओमकार आर्य और मंत्री विनय सक्सेना समेत पूरी कमेटी ने दबाव डालकर एग्रीमेंट कराया था। उन्हें डर था कि कहीं जबरन न निकाल दिया जाए, इसलिए उन्होंने हस्ताक्षर कर दिए थे। यह आरोप लगाए जाने के बाद भी अफसरों ने उनकी तस्दीक करने के बजाय प्रबंध कमेटी के बयान तक दर्ज नहीं किए। डीपीओ का अब कहना है कि अनाथालय तो पहले ही बंद किया जा चुका है और इसकी सूचना भी शासन को भेजी जा चुकी है। लड़कियां जो एग्रीमेंट कर चुकी हैं, वही माना जाएगा।
लड़कियों ने लिखकर दिया तो है कि वे अनाथालय में ही रहना चाहती हैं लेकिन प्रबंध कमेटी वाले निकलने को कह रहे हैं लेकिन अनाथालय बंद हो चुका है और उसकी सूचना शासन को भी दे दी गई है। अगर लड़कियां तय सीमा के भीतर अपने भरण पोषण की व्यवस्था नहीं कर पाती हैं तो उन्हें सहारनपुर की संस्था में भेज दिया जाएगा- मोनिका राणा, जिला प्रोबेशन अधिकारी
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