RTE: एडमिशन न देने के लिए स्कूल बनाते हैं कई बहाने

RTE: एडमिशन न देने के लिए स्कूल बनाते हैं कई बहाने

हर माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने चाहते हैं, लेकिन आर्थिक रूप से मजबूत न होने की वजह से वे अच्छे स्कूल में एडमिशन नहीं करा पाते हैं। ऐसे में सरकार द्नारा राइट टू एजुकेशन (RTE) के तहत आर्थिक रूप से दुर्बल और पिछड़े वर्ग के छात्रों को अच्छी पढ़ाई मुहिया कराना है, लेकिन प्राइवेट स्कूल कई बार ऐसे स्टूडेंट्स को एडमिशन न देने के लिए कई बहाने बनाते हैं। 

लखनऊ, अमृत विचारः आज के टाइम पर हर माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं। जिसके लिए वे हर कोशिश करते हैं, लेकिन शिक्षा इतनी महंगी है कि उन्हें अपने हाथ पीछे करने पड़ते हैं। ऐसे में उन बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए वे सरकार की ओर से आरटीई यानी की राइट टू एजुकेशन शुरू की। जिससे माता-पिता अपने बच्चों को अच्छे से पढ़ा पाए, लेकिन प्राइवेट स्कूल की मनमानी की वजह से कई बार माता-पिता को इससे भी हाथ पीछे करना पड़ता है।स्कूल वाले अभिभावकों की ओर से छोटी से छोटी गलती को बड़ा बना देते हैं और उन स्टूडेंट्स का एडमिशन कैंसिल कर देते हैं। इसकी वजह से अभिभावको स्कूल और बीएसए कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं। कुछ ऐसा अभी भी अभिभावकों के साथ हो रहा है। जिसको सॉल्व करने के लिए एक हफ्ते के अंदर बीएसए द्वारा चिन्हित विद्यालयों को डिएम के समक्ष पेश किया जाएगा और बात की जाएगी की आखिर दिक्कत कहां पर हो रही है। 

RTEE

परेशान रहते हैं अभिभावक 

माता-पिता अच्छी शिक्षा देने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। दिन-रात एक करने के बाद भी वह उन्हें हर साल एक ही परेशानी झेलनी पड़ती है कि लॉटरी में नाम आने के बाद भी प्राइवेट स्कूल वाले स्कूल एडमिशन नहीं दे रहे हैं। इसके लिए वे तरह-तरह के बहाने बनाते हैं। प्राइवेट स्कूल ने आरटीई को दर किनार कर देते हैं और अपनी अलग ही मनमानी करना शुरू कर देते हैं। कई स्कूल तो एडमिशन न लेने के लिए टाल मटोल भी करने लगते हैं। अपने बहानों के चलते वे अभिभावकों को स्कूल और बीएसए ऑफिस के चक्कर काटने पर मजबूर कर देते हैं। स्कूल वाले कई बार अभिभावकों को कागजी कार्यवाही में भी फसा देते हैं कि उनके डॉक्यूमेंट पूरे नहीं हैं। जिसकी वजह से एडमिशन नहीं हो सकता है।

स्कूल्स के बहाने

-डॉक्यूमेंट पूरे नहीं है

-उम्र में गड़बड़ है

-नाम की स्पेलिंग ठीक नहीं है

-हमारे स्कूल में सीट फुल हो हैं

-आधार कार्ड में दिया पता अलग है

-एडमिशन क्लोज हो गए हैं

-अभी स्कूल में टीचर नहीं है, कल आना

-गलत वार्ड है, जिस वार्ड में रहते हैं, उस वार्ड में स्कूल नहीं हैं

-दूसरे जिले के रहने वाले हैं, यहां पर किराए पर रहते हैं। इसकी वजह से एडमिशन नहीं दे सकते हैं।

RTE

28 जून को आखरी लॉटरी 

बीएसए राम प्रवेश राइट टू एजुकेशन के तहत हर प्राइवेट स्कूल दुर्वल और अलाभिक वर्ग के लिए 25 प्रतिशत सीट रिजर्व रहती है। जिससे अभिभावकों को मदद की जा सकें। जिलेभर के कुछ 50 से 52 स्कूल ऐसे हैं जो एडमिशन न देने के लिए बहाने बनाते हैं। इसके लिए पहले उन्हें समझाया जाता है। इसी को लेकर एक इसी हफ्ते डीएम के साथ मीटिंग भी फिक्स की गई है। जहां स्कूल के प्रतिनिधी को बुलाया जाएगा और उनसे एडमिशन न देने की डिटेल्स मांगी जाएगी। विभाग के अधिकारियों द्वारा ऐसे स्कूल से लगातार पूछता भी रहता है कि आखिर स्कूल में एडमिशन न देनी की वजह क्या है।

आरटीई कोऑर्डिनेटर अखिलेश अवस्थी ने बताया कि अब तक तीन आरटीई के तहत लॉटरी निकल चुकी हैं। चोथी लॉटरी का रिजल्ट 28 जून को निकलेगा। जिसके बाद स्कूल रिअलॉट किए जाएंगे। वहीं स्कूल में एडमिशन सात जून में किए जाएंगे

यह भी पढ़ेः Lucknow University: आवेदनों की शुरू हुई स्क्रीनिंग

ताजा समाचार