सीतापुर में सुस्त ढंग से हो रहा करोड़ों की परियोजनाओं का काम, मानसून आने से पहले ये है स्थिति 

दो माह में केवल ढाई किमी ही कर पाये ड्रेजिंग व चेनलाइजेशन का कार्य

सीतापुर में सुस्त ढंग से हो रहा करोड़ों की परियोजनाओं का काम, मानसून आने से पहले ये है स्थिति 

सीतापुर, अमृत विचार। तटबंध सहित अंदर बसे गाँवो के अस्तित्व को बचाने के लिए करीब तीन वर्षों से चलाई जा करोड़ों रूपये की लागत की परियोजनाएं तय समय में पूरी न होने से यहां के बाशिंदों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस वर्ष भी भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नमामि गंगे परियोजना के तहत सिंचाई विभाग द्वारा करीब 5 किमी की लंबाई में ड्रेजिंग व चेनलाइजेशन का कार्य करीब 2 माह से चल रहा है। दो माह में केवल 2 से ढाई किमी की लंबाई में कार्य हुआ है। 
               
तटवासियों के अनुसार जून माह के अंत नदी में पानी तेजी से बढ़ जाता है। उस समय कार्य होना असंभव है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार कार्य 20 से 25 जून तक पूर्ण हो जाना चाहिए था। यदि कार्य तय समय में पूर्ण नहीं हो पाया तो अब तक हुए करोड़ों रुपये का कार्य भी नदी की अथाह धारा में बह जाएगा और इसका कोई लाभ यहां के ग्रामीणों को नहीं मिलेगा। इस समय भी सरयू नदी धीरे धीरे कटान शुरू कर चुकी है। कटान के सबसे नजदीक बसे देवराज तिवारी ने बताया कि इधर करीब 3 वर्षों से इस तरह की 3 परियोजनाओं के नाम पर कई करोड़ रुपये गांवो के अस्तित्व को बचाने के नाम पर सिंचाई विभाग ने खर्च किये हैं। बावजूद इसके गत वर्ष में इस अखरी गांव के 20 घर, परम गोंडा के 7 या 8 घर, शंकरपुरवा के 10 से 12 घर सहित करीब 50 घर नदी की धारा में समा गए। पक्की बनाई गई ठोकरों की वजह से बाबा कुटी के पास कटान कुछ कम हुई है। 

रामनरेश ने बताया कि यहां इस विभाग के कोई अधिकारी प्रशांत कुमार आते है। उनसे जब कोई जानकारी लेने का प्रयास किया जाता है तो वह कहते है कि आप कौन होते है जानकारी लेने वाले। कार्य की सुस्ती को देखते ऐसा लग रहा है कि अखरी गांव में बचे 8 घर भी इस वर्ष की कटान में बह जाएंगे। राजू ने बताया कि ड्रेजिंग व चैनलाइजेशन में जेसीबी द्वारा करीब 12 फिट चौडा व 5 या 6 मीटर गहराई में एक नाला बनाकर ड्रेजिंग मशीन से उसमे नदी की मुख्य धारा को लाने का प्रयास किया जा रहा है,जिसके पिछले बार के परिणाम अच्छे नहीं रहे। धारा मोड़ने के कार्य तय समय मे पूरे नही हुए थे,इसकी असफलता के चलते तीन गांवो के 30 से 35 घर नदी में बह गए। 
 
गत वर्षों में कटान बचाने के नाम पर खर्च हुए बजट की बात करें तो वर्ष 2020-21 में सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग उत्तर प्रदेश तथा कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कारपोरेशन लिमिटेड लखनऊ के द्वारा 937.46 लाख रुपए की लागत से करीब 4.5 किमी लंबा ट्रेजिंग एवं चौनिलाईजेशन कार्य करवाया गया जिसका बाढ़ आते ही नामो निशान मिट गया। और इससे अनियंत्रित हुई तेज धारा में अखरी और शंकरपुरवा गांव का लगभग अस्तित्व ही मिट गया। विगत वर्ष अंगरौरा गांव के पास करोड़ों रुपयों की लागत से तीन पक्की ठोकरों का निर्माण करवाया गया था। ग्रामीण सागर ने बताया कि जब से ठोकर बनी है तब से हमारे घर के पास  कटान नहीं हुई। राकेश व जुगुल किशोर व अखरी निवासी देवराज तिवारी ने बताया कि पिछले साल जिलाधिकारी अनुज सिंह ने अखरी गांव में निरीक्षण के समय गांव को हर हाल में बचाने का आश्वासन दिया था फिर भी सिंचाई विभाग के आला अधिकारियों की लापरवाही के कारण लगभग 20 घर नदी में समा गए। 
 
इस वर्ष भी अधिकारियों की लापरवाही के कारण दो माह में कार्य आधा ही हुआ है। किसी भी दशा में ड्रेजिंग व चौन लाइजेशन का कार्य पूर्ण होने की संभावना नहीं है। आश्चर्यजनक बात यह भी है इस कार्य में लगे जिम्मेदार इंजीनियर प्रशांत कुमार से जब बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने थोड़ी देर में जानकारी देने की बात कही,किन्तु इसके बाद फोन नहीं उठाया। हैरत की बात यह भी है जनपद सीतापुर में हो रहे इस करोड़ो रूपये की परियोजना की थोड़ी भी जानकारी न तो उपजिलाधिकारी महमूदाबाद को है और न ही जिले के सिंचाई विभाग के किसी अधिकारी को। 

एसडीएम महमूदाबाद शिखा शुक्ला ने भी इंजीनियर से बात करने का प्रयास किया किन्तु फोन नहीं उठा। यहां कार्य कर रहे मजदूरों का भी जमकर शोषण किया रहा है। नाम न छापने की शर्त पर एक मजदूर ने बताया कि एक बोरी बालू भरकर सिलाई करके नदी में डालने के लिए हम लोगो को 4 रू प्रति बोरी ठेकेदार के द्वारा दिया जाता है। जबकि ठेकेदार को विभाग से 14-15 रू प्रति बोरी के हिसाब से मिलता है।

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