बरेली: गलत तरह से पुल का ठेका हथियाने वाली फर्म दो साल के लिए डिबार

पुल बनाने का अनुभव ही नहीं था, तत्कालीन मुख्य अभियंता को भी माना दोषी

बरेली: गलत तरह से पुल का ठेका हथियाने वाली फर्म दो साल के लिए डिबार

बरेली, अमृत विचार। सड़क के अनुभव प्रमाण पत्र पर पुल का ठेका देने का मामला सही निकला। कई स्तर पर हुई जांच के बाद बदायूं के सतीश चंद्र दीक्षित की फर्म को दो साल के लिए डिबार कर दिया गया है। प्रमुख अभियंता कार्यालय ने आदेश दिया है कि फर्म को किसी भी निविदा प्रक्रिया में शामिल न किया जाए। फर्म के पंजीकरण के समय अनुभव प्रमाण पत्रों का संज्ञान न लेने पर तत्कालीन मुख्य अभियंता को भी आंशिक रूप से दोषी माना गया है।

बदायूं के सतीश चंद्र दीक्षित की फर्म को पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन अफसरों ने सड़क निर्माण का ही अनुभव होने के बाद भी पुल निर्माण में ए क्लास का पंजीकरण कर बदायूं की अरिल नदी पर पुल बनाने का काम दे दिया था। इस फर्म ने पीलीभीत में भी कई पुलों की टेंडर प्रक्रिया हिस्सा लिया था। अनुभव न होने की वजह से ही अरिल नदी पर जो पुल छह महीने में बनना था, वह ढाई साल में पूरा हो पाया। पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार समेत कई लोगों ने इस फर्म को नियमविरुद्ध ढंग से ठेका देने समेत कई गंभीर आरोप लगाते हुए शासन से शिकायत की थी। इसके बाद प्रमुख अभियंता जांच शुरू कराई।

इसी साल सात मई को सतीश चंद्र को नोटिस देकर आरोपों पर जवाब मांगा गया। असंतोषजक जवाब दिए जाने पर 24 मई को चीफ इंजीनियर बरेली को पत्र भेजकर रिपोर्ट मांगी। इसके बाद 10 जुलाई 2024 को मुख्यालय पत्र भेजकर अवगत कराया गया कि मुरादाबाद और लखनऊ के मुख्य अभियंता की संयुक्त जांच रिपोर्ट फरवरी में ही भेज दी गई थी। इसमें फर्म को पूरी तरह और तत्कालीन मुख्य अभियंता को पंजीकरण में गड़बड़ी पर आंशिक रूप से दोषी करार दिया गया था। इसके बाद फर्म को दो साल के लिए डिबार कर दिया गया।

समझौता नहीं किया इसलिए की कार्रवाई
ठेकेदार सतीश चंद्र का कहना है कि लोकायुक्त की जांच में उन पर लगे सभी आरोप निराधार मिले थे। तत्कालीन मुख्य अभियंता समेत आठ अधिकारियों को ही दोषी ठहराया गया था। इन अधिकारियों पर अब तक कार्रवाई न होने पर उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने तीन महीने में कार्रवाई करने का आदेश दिया तो अफसरों समझौता करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। समझौता न करने पर उन पर कार्रवाई की गई है। यह साजिश रचने वाले ठेकेदार और अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए वह फिर कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।

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