कानपुर: विकास दुबे को घेरते ही चलने लगी थीं गोलियां, बचाव पक्ष के वकील ने दरोगा से दागे सवाल

दबिश के दौरान बिकरू गांव के रास्तों पर नहीं लगा था फोर्स, एंटी डकैती कोर्ट में 9 अक्टूबर को होगी मामले की सुनवाई

कानपुर: विकास दुबे को घेरते ही चलने लगी थीं गोलियां, बचाव पक्ष के वकील ने दरोगा से दागे सवाल

कानपुर देहात, अमृत विचार। बिकरू कांड के मुख्य मामले में शनिवार को पांच आरोपियों की ओर से बचाव पक्ष की जिरह में अभियोजन गवाह ने बताया कि बिकरू गांव जाने के लिए तीन-चार रास्ते हैं। उनमें कहीं भी पुलिस फोर्स नहीं लगा था। विकास दुबे को घेरने के लिए जैसे ही पुलिस पार्टियां पहुंचीं तो ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू हो गई। पुलिस ने आत्मरक्षा के लिए कवर फायरिंग करते हुए आड़ ली, जिससे पुलिस विकास दुबे के मकान को घेर नहीं सकी। अदालत में अब मामले की सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी।

कानपुर नगर जनपद के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में दो जुलाई 2020 को दबिश देने गई पुलिस टीम पर कुख्यात विकास दुबे गैंग ने फायरिंग कर बिल्हौर सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी। इस मामले की सुनवाई एंटी डकैती कोर्ट के न्यायाधीश अमित मालवीय के समक्ष चल रही है। मौजूदा समय में अभियोजन गवाह सब इंस्पेक्टर अजहर इशरत से बचाव पक्ष की जिरह चल रही है। 

शनिवार को आरोपी बालगोविंद, शिवम् दुबे, संजय उर्फ संजू दुबे, क्षमा दुबे और विपुल दुबे की ओर से बचाव पक्ष के अधिवक्ता प्रेमचंद्र त्रिपाठी व पवनेश कुमार शुक्ला ने गवाह से जिरह की और बिकरू गांव पहुंचने वाले रास्तों के संबंध में सवाल दागे। सवालों का जवाब देते हुए गवाह अजहर इशरत ने कहा कि इस वक्त याद नहीं आ रहा है, फिर भी तीन-चार रास्ते होने का अनुमान है। बचाव पक्ष के वकील ने पूछा कि दबिश के दौरान क्या सभी रास्तों पर पुलिस फोर्स लगाया गया था, इस पर गवाह ने कहा कि प्रवेश वाले रास्तों में पुलिस फोर्स नहीं लगा था। 

बचाव पक्ष के कारण पूछने पर गवाह ने कहा कि सीओ ने रास्तों पर फोर्स क्यों नहीं लगाया? इसकी मुझे जानकारी नहीं है। बचाव पक्ष ने यह भी सवाल किया कि क्या विकास दुबे के घर के चारों ओर पुलिस बल पहुंचा था। गवाह ने बताया कि पुलिस पार्टी विकास दुबे को घेरने के लिए आगे बढ़ी तो चारों ओर से ताबड़तोड़ फायरिंग चालू हो गई, जिस पर पुलिस ने बचने के लिए कवर फायरिंग करते हुए आड़ ले ली, जिससे विकास दुबे का घर नहीं घेरा जा सका। 

गवाह ने स्वीकार किया कि आरोपी शिवम दुबे और बालगोविंद के घटना में शामिल होने के कारण अपने बयान में उनका नाम लिया है, लेकिन इनकी कोई विशिष्ट भूमिका नहीं बताई। सहायक शासकीय अधिवक्ता देवेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि इस मामले में पांच आरोपियों की ओर से बचाव पक्ष की अधिवक्ता ने जिरह पूरी की है। शेष आरोपियों की ओर से जिरह के लिए बचाव पक्ष के अधिवक्ता के अदालत उपस्थित नहीं होने पर अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 9 अक्टूबर की तिथि नियत की है। इस दौरान सभी आरोपी अदालत में उपस्थित रहे।

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