हाउस टैक्स: शहर भर को फंसाकर खुश थे अफसर...45 करोड़ बढ़ेगा राजस्व, अब टैक्स विभाग की खिड़की बंद

टैक्स बिलों में भारी गड़बड़ियों पर भड़का लोगों का गुस्सा तो बैकफुट पर आया नगर निगम, अब जल्द खिड़की न खुलने के आसार

हाउस टैक्स: शहर भर को फंसाकर खुश थे अफसर...45 करोड़ बढ़ेगा राजस्व, अब टैक्स विभाग की खिड़की बंद

बरेली, अमृत विचार। जीआईएस सर्वे के बाद नए सिरे से हाउस टैक्स लागू किया गया था तो अफसर दावा करते नहीं थक रहे थे कि बरेली नगर निगम ने अपने राजस्व में 45 करोड़ की वृद्धि की है जो पूरे प्रदेश में रिकॉर्ड है। लेकिन लोगों के पास टैक्स के बिल पहुंचते ही लापरवाही और गड़बड़ियों की पोल खुलनी शुरू हो गई। इन पर लोगों का गुस्सा इस कदर भड़का कि बृहस्पतिवार को नगर निगम में टैक्स कलेक्शन की खिड़की बंद कर दी गई। इस बीच व्यापारियों ने भी अनाप-शनाप हाउस टैक्स के खिलाफ धरना देने की चेतावनी दे डाली है।

जीआईएस सर्वे के बाद लोगों पर नगर निगम का टैक्स 80 फीसदी तक बढ़ गया है। करीब 15 दिन से नगर निगम में शिकायतें लेकर पहुंचने वालों का तांता लगा हुआ है। इन शिकायतों में बड़े पैमाने पर टैक्स बढ़ा दिए जाने के तो आरोप हैं ही, आवासीय संपत्ति को व्यावसायिक, किसी के मकान किसी और का फोटो साफ्टवेयर में अपलोड करने, गलत मोबाइल नंबर दर्ज कर दिए जाने जैसी तमाम दिक्कतें बयान की गई हैं। नगर निगम ने इस टैक्स को पिछले वित्तीय वर्ष से लागू किया है और उन लोगों के बिलों में एरियर भी जोड़ दिया है जो उसकी अदायगी कर चुके हैं। इन गड़बड़ियों पर कई दिनों से लगातार बढ़ रहे विरोध के बाद बुधवार को यहां तक नौबत आई कि लोग सही जवाब न देने पर टैक्स विभाग के कर्मचारियों से मारपीट करने पर आमादा हो गए।

इस बीच मेयर ने यह घोषणा जरूर की कि टैक्स पिछले साल से नहीं बल्कि 2024-25 से लागू होगा, लेकिन इससे लोगों का गुस्सा शांत नहीं हुआ। उल्टे व्यापारियों ने भी नगर निगम के टैक्स विभाग के खिलाफ मोर्चा खोलने का एलान कर दिया। नतीजा यह हुआ कि बृहस्पतिवार को नगर निगम में टैक्स कलेक्शन की खिड़की को बंद कर दिया गया। टैक्स विभाग ने सफाई दी है कि गलतियों काे सुधारा जा रहा है। जब तक साफ्टवेयर ठीक नहीं होगा, तब तक साइट नहीं खोली जाएगी।

मोहल्लों में पर्चे बांटकर बताएंगे नगर निगम के कारनामे, 22 को देंगे धरना

उद्योग व्यापार मंच की बैठक में फैसला, कहा- छूट खत्म कर भारी टैक्स लादना जनविरोधी
जीआईएस सर्वे के विरोध में उप्र उद्योग व्यापार मंच की बृहस्पतिवार शाम एक होटल में हुई बैठक में आरोप लगाया गया कि जनता पर टैक्स का भारी बोझ लादने के साथ पहले से मिल रही छूट को खत्म कर नगर निगम ने जनविरोधी काम किया है। ऊपर से वित्तीय वर्ष 2023-24 में जमा टैक्स पर भी एरियर दिखाया जा रहा है। बैठक में 22 जून को सेठ दामोदर स्वरूप पार्क में सुबह 11 बजे से धरने पर बैठने और नगर निगम के कारनामों को उजागर करने के लिए मोहल्लों में पर्चे बांटने का एलान किया गया।

पार्षद राजेश अग्रवाल ने बैठक में कहा कि पूरे उत्तर प्रदेश में बरेली अकेला ऐसा शहर है जहां जनता का इस तरह का उत्पीड़न हो रहा है। वह इस समस्या के निदान के लिए सड़क से लेकर नगर निगम बोर्ड तक आवाज उठाएंगे। महानगर अध्यक्ष गौहर अली और संजय आनंद ने कहा कि वे पहले भी टैक्स की लड़ाई लड़ चुके हैं, अब फिर कमर कस ली है। ट्रेड यूनियन के संजीव मल्होत्रा ने भी सहयोग देने का वादा किया। बैठक में फुरकान शम्सी ,मनजीत मरवा, राजीव शांत, प्रथमेश गुप्ता, जफर शम्सी ,अरुण शर्मा, नावेद बेग, शरीफ भाई, नदीम प्रिंस, वीरेंद्र, शिवनाथ चौबे, राजेश भाटिया, नासिर, विजय सेठ आदि मौजूद थे।

रुहेलखंड उद्योग व्यापार मंडल ने भी दिया ज्ञापन
रुहेलखंड उद्योग व्यापार मंडल ने भी बृहस्पतिवार को मुख्य कर अधिकारी को ज्ञापन देकर हाउस टैक्स के गलत बिल जारी करने और इसमें छूट न दिए जाने पर विरोध जताया। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार मेहरोत्रा ने बताया कि रामपुर बाग की एक कोठी में छोटी सी दुकान खोली गई है। सर्वे में पूरी कोठी को कॉमर्शियल बता दिया गया है। नगर निगम की धारा 174 के उपबंध 3/2 के तहत 20 साल पुराने भवनों पर छूट मिलती है लेकिन इसे भी समाप्त कर दिया गया है। ज्ञापन देने वालों में पार्षद जयप्रकाश, राजकुमार, इकबाले सिंह, संजय टंडन, संदीप अग्रवाल आदि शामिल थे।

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