विदेश नीति की चुनौतियां

विदेश नीति की चुनौतियां

भारत आज विश्व के अग्रणी राष्ट्रों में से एक है। वैश्विक मंचों पर बढ़ रही भारत की स्वीकार्यता महाशक्ति कहलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अमेरिका के अलावा कई अन्य देश अब भारत को एक उभरती महाशक्ति के तौर पर देखने लगे हैं और भारत की नीतियों-रणनीतियों पर उनकी निगाहें लगी रहती हैं। 

भारत और अमेरिका के संबंधों में काफी सुधार हुआ है,  क्योंकि वह एक स्थिर शक्ति के रूप में भारत को देखता है। परंतु चीन और पाकिस्तान के साथ अस्थिर सीमा मुद्दों को लेकर तनाव रहता है। चीन दक्षिण एशिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हुआ दिख रहा है और भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। 

मंगलवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि दुनिया ने देखा है कि संकट के समय अगर एक देश ग्लोबल साउथ के साथ खड़ा रहा है तो वो भारत है। उन्हें लगता है कि भारत उनका मित्र है। जी 20 की अध्यक्षता के दौरान जिस तरह हमने अफ्रीकी संघ की सदस्यता के लिए कोशिश की, उससे दुनिया के देशों का विश्वास हम पर बढ़ा है। नई सरकार के शपथ के दिन से ही हमारी नेबरहुड फर्स्ट को लेकर प्रतिबद्धता जाहिर हो गई। 

भारत के पड़ोसी देश चीन के प्रभाव के चलते अपनी नीतियों को लेकर दुविधा में रहते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पड़ोसी देशों के नेताओं का आना अच्छा संकेत है। विदेश मंत्री ने पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के रिश्तों को लेकर कहा कि जहां तक पाकिस्तान और चीन का सवाल है, उन देशों के साथ संबंध अलग हैं और वहां की समस्याएं भी अलग हैं। 

नई सरकार के समय में पाकिस्तान के साथ हम वर्षों पुराने सीमापार आतंकवाद के मुद्दे का समाधान खोजना चाहेंगे। उन्होंने साफ किया कि किसी अच्छे पड़ोसी की नीति सीमा पर आतंकवाद नहीं हो सकती। वहीं चीन को लेकर उन्होंने कहा कि सीमा के बचे हुए मसले सुलझाने पर उनका फोकस होगा। वास्तव में वैश्वीकरण के इस युग में, भारत का राष्ट्रीय हित केवल अपनी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और प्रभाव को बढ़ाने से हो सकता है। 

भारत के समक्ष विदेश नीति की चुनौतियों की जटिलता पूरी दुनिया की तरह चुनौतियों के समग्र प्रतिबिंब के फैलाव के रूप में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा है कि भविष्य में भारत की भूमिका, एक संतुलन शक्ति के बजाय एक प्रमुख शक्ति के रूप में हो। वैश्विक पटल पर प्रासंगिक बने रहने के लिए भारत को चुनौतियों को समझ कर अपना रुख तय करना होगा। उम्मीद है कि संघर्ष और तनावों के बीच हम अपनी एक जगह बनाए रखने में कामयाब रहेंगे।

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