...तो इस वजह से बच गए छत्रपाल सिंह गंगवार, बरेली में भी भाजपा का जीतना था मुश्किल

...तो इस वजह से बच गए छत्रपाल सिंह गंगवार, बरेली में भी भाजपा का जीतना था मुश्किल

बरेली, अमृत विचार: बरेली में बसपा प्रत्याशी छोटेलाल गंगवार का नामांकन चाहे जिस वजह से रद्द हुआ हो, लेकिन सिर्फ इसी वजह से भाजपा अपने गढ़ में हारते-हारते बच गई। राजनीतिक हल्कों में दावे के साथ कहा जा रहा है कि छोटेलाल अगर मैदान में रहते तो बसपा का वह कैडर वोट किसी भी हालत में भाजपा का रुख न करता जिसकी वजह से पार्टी प्रत्याशी छत्रपाल सिंह गंगवार ने 2019 में संतोष गंगवार को मिले वोटों के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया।

लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा प्रत्याशी संतोष गंगवार को पांच लाख 65 हजार 270 वोट मिले थे और उन्होंने सपा प्रत्याशी भगवत सरन गंगवार को 1,67,282 के बड़े अंतर से हराया था। इस चुनाव में उनकी जगह भाजपा की ओर से चुनाव लड़े छत्रपाल सिंह गंगवार को पांच लाख 67 हजार 127 वोट मिले जो संतोष गंगवार से 1857 ज्यादा हैं, लेकिन फिर भी अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा प्रत्याशी प्रवीण सिंह ऐरन को सिर्फ 34,804 वोटों से ही हरा पाए। कहा जा रहा है कि इन आंकड़ों के पीछे ही वह सारा उलटफेर छिपा हुआ है जो इस लोकसभा चुनाव में पर्दे के पीछे हो गया।

बरेली में दलित वोटरों की संख्या करीब पौने दो लाख बताई जाती है जिसमें अनुमानित तौर पर एक लाख जाटव बिरादरी यानी बसपा का कैडर वोट है। माना जा रहा है कि यही वोट बसपा का प्रत्याशी मैदान में न होने की वजह से भाजपा में शिफ्ट हो गया। इसी वजह से छत्रपाल सिंह जिन्हें शुरुआती दौर में संतोष गंगवार की तुलना में हल्का प्रत्याशी माना जा रहा था, उन्होंने वोटों के रिकॉर्ड में उन्हें पीछे छोड़ दिया। छोटेलाल अगर मैदान में होते तो ऐसा न होता और भाजपा के लिए बरेली की सीट जीतना भी आंवला की तरह मुश्किल हो जाता।

बसपा के कैडर वोट की वजह से आंवला में आबिद 95 हजार पार
मुस्लिम वोट इस चुनाव में ऐतिहासिक रूप से एकजुट रहा, लेकिन इसके बावजूद आंवला में बसपा प्रत्याशी आबिद अली को 95 हजार से ज्यादा वोट मिले। उनके इस आंकड़े तक पहुंचने के पीछे भी बसपा के कैडर वोटरों का हाथ माना जा रहा है। आंवला संसदीय क्षेत्र भाजपा के लिए बरेली जितना माफिक नहीं रहा है लेकिन इसके बावजूद बसपा के कैडर वोटरों की वजह से सपा प्रत्याशी को वहां बढ़त बनाने में पसीना आ गया। क्षत्रिय और ब्राह्मण मतदाताओं के विरोध से जूझ रहे भाजपा प्रत्याशी धर्मेंद्र कश्यप आखिरकार वह 15 हजार वोटों की ही बढ़त बना पाए। बरेली की तरह बसपा का यही कैडर वोट आंवला में भी भाजपा को मिला होता तो वहां भी नतीजा बदलना मुश्किल था।

यह भी पढ़ें- बरेली में कुत्तों का आतंक, घर के बाहर खेल रहे दो बच्चों पर हमला

ताजा समाचार

चीन ने ताइवान के पास के इलाकों में शुरू किया बड़ा सैन्य अभ्यास, दी कड़ी चेतावनी
Facebook और Instagram यूजर्स को देने होंगे पैसे ? Meta ने बढ़ाई लोगों की टेंशन
बरेली में सीएम धामी बोले- समान नागरिक संहिता कानून हर जगह लागू होना चाहिए
RBI के 90 वर्ष पूरे: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने की सराहना, गवर्नर बोले- हम वित्तीय समावेश को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं
Heatwave alert : यूपी-बिहार रहे तैयार! इस बार आसमान से बरसेगी आग, IMD ने जारी की चेतावनी 
अनुभवी फॉरवर्ड वंदना कटारिया ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी को कहा अलविदा, बोलीं-भारत की जर्सी पहनने का गर्व हमेशा मेरे मन में गूंजता रहेगा