ग्रेजुएशन में अप्रेंटिसशिप है जरूरी, UGC ने लिया अहम फैसला
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लखनऊ, अमृत विचारः विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने उच्च शिक्षा में एक जरूरी बदलाव किया है। अंडर ग्रेजुएट (UG) स्टूडेंट्स के लिए अप्रेंटिसशिप जरूरी कर दिया गया है। इसके साथ ही, ग्रेजुएट (UG) और पोस्ट ग्रेजुएट (PG) पाठ्यक्रमों में इंडियन नॉलेज सिस्टम (IKS) को शामिल करने का भी निर्णय लिया गया है। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य स्टूडेंट्स को इंडस्ट्री के अनुरूप तैयार करना और भारतीय ज्ञान परंपरा को छात्रों के बीच बढ़ावा देना है।
मिलेगा व्यवहारिक अनुभव
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अंतर्गत UGC ने अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में अप्रेंटिसशिप को अनिवार्य कर दिया गया है। इससे स्टूडेंट्स को इंडस्ट्री में काम करने का प्रैक्टिकल अनुभव मिलेगा, जिससे वे आज के समय की जरूरत के हिसाब से जॉब मार्केट के लिए बेहतर रूप से तैयार होंगे। किसी भी काम को सही से समझने और सही से करने के लिए प्रैक्टिकल नॉलेज होना जरूरी है, लेकिन उच्च शिक्षा संस्थानों (HEI) को इंडस्ट्री की आवश्यकताओं के अनुसार अप्रेंटिसशिप की सीट्स को निर्धारित करनी होंगी। इन अप्रेमटिसशिप का रजिस्ट्रेशन नेशनल अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग स्कीम (NATS) पोर्टल पर किया जाएगा।
क्या है नए नियम
तीन वर्षीय डिग्री कार्यक्रम में छात्रों को पहले से तीसरे सेमेस्टर के बीच अप्रेंटिसशिप करनी होगी। वहीं चार वर्षीय डिग्री कार्यक्रम में दूसरे से चौथे सेमेस्टर के बीच अप्रेंटिसशिप करना अनिवार्य होगा। लास्ट सेमेस्टर में यह प्रक्रिया अनिवार्य होगी। छात्रों को कुल 10 क्रेडिट स्कोर हासिल करने के लिए कम से कम तीन महीने की अप्रेंटिसशिप करना जरूरी होगा। आयोग की इस पहल से छात्रों को अपने चुने हुए विषयों में ग्राउंड रियलिटी का अनुभव मिलेगा और उनके काम में सुधार होगा।
UG-PG में IKS अनिवार्य
UGC ने IKS को बढ़ावा देने के लिए ग्रेजुएट (UG) और पोस्ट ग्रेजुएट (PG) पाठ्यक्रमों में इसे अनिवार्य बनाने का निर्णय लिया है। छात्रों को कुल पाठ्यक्रम क्रेडिट में से 5% क्रेडिट IKS से अर्जित करने होंगे। वहीं 50% क्रेडिट मुख्य विषयों से प्राप्त किए जाएंगे। इसके अंतर्गत छात्रों को वेद, ज्योतिष, पुराण, योग, आयुर्वेद और पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणाली से अवगत कराया जाएगा। इस पहल का मुख्य उद्देश्य छात्रों को भारतीय संस्कृति और वैज्ञानिक धरोहर से जोड़ना है। इससे वे आधुनिक तकनीक के साथ-साथ अपनी सांस्कृतिक जड़ों को भी मजबूत कर पाएंगे।
छात्रों को मिलेगा व्यापक लाभ
UGC के इस नए फैसले से छात्रों को इंडस्ट्री में काम करने का व्यापक अनुभव मिलेगा, जिससे उनके करियर के क्षेत्र में कई सारे रास्ते खुलेंगे। भारतीय ज्ञान प्रणाली का अध्ययन उन्हें भारत की प्राचीन दार्शनिक और वैज्ञानिक परंपराओं से जोड़ेगा। इससे वे वैश्विक स्तर पर अपनी सांस्कृतिक पहचान बनाए रखते हुए आधुनिक दुनिया की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार होंगे।
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