सुल्तानपुर : जातीय समीकरण ने बिगाड़ दिया मेनका का गणित
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मनोज कुमार मिश्र, सुल्तानपुर। आखिर सुलतानपुर लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण ने मेनका गांधी का गणित बिगाड़ दिया। लाख कोशिशों के बाद भी पिछले चुनाव में भाजपा के पक्ष में निर्णायक भूमिका निभा चुके निषाद और कुर्मी मतदाता इस बार लामबंद नहीं हो सके। इस बिरादरी के अधिकतर मतदाता इंडिया गठबंधन और बसपा के पाले में चले गए। नतीजा मेनका गांधी की पराजय के रूप में सामने आया।
सुलतानपुर लोकसभा सीट पर 2014 में भाजपा से वरुण गांधी जीते थे, जबकि 2019 में उनकी मां मेनका गांधी ने यहां पर कमल खिलाया था। चुनाव में भाजपा ने इस बार भी यहां मेनका संजय गांधी को प्रत्याशी बनाया। इंडिया गठबंधन (सपा) ने जातीय समीकरण साधते हुए राम भुआल निषाद को चुनाव मैदान में उतारा। बसपा ने कुर्मी बिरादरी के उदराज वर्मा को प्रत्याशी बनाया। मेनका ने लगातार करीब 40 दिनों तक चुनावी प्रचार में ताकत झोंक दी। जनता के बीच अपने पांच साल के कार्यों व भाजपा की लाभार्थीपरक योजनाओं का खाका जनता के सामने रखा। पर, मतदान की तिथि नजदीक आते-आते पूरा चुनाव जातीय समीकरण पर टिक गया।
निषाद और कुर्मी वोट पिछले दो चुनावों में भाजपा के ही थे। इस वोट बैंक को अपने पक्ष में साधने के लिए चुनाव के अंतिम समय में वरुण गांधी ने भी एक दिन निषाद बाहुल्य इलाकों में ताबड़तोड़ सभाएं की और अपनी मां मेनका के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास किया। भाजपाइयों ने भी निषाद और कुर्मी मतदाताओं को अपने पाले में लाने की तमाम तरकीब लगाई, लेकिन वह काम नहीं आई। न निषाद टूटे न ही बड़ी संख्या में कुर्मी ही अपने जाति के प्रत्याशी को छोड़कर भाजपा में आए। नतीजा रहा कि भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी को हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में राम भुआल को 4,44,330 मत प्राप्त हुए, जबकि रनर रही मेनका गांधी को 4,01,156 मतों से संतोष करना पड़ा। इस हिसाब से राम भुआल ने 43,174 मतों से चुनाव जीत लिया।
बसपा प्रत्याशी ने भी मेनका के हार में निभाया बड़ा रोल
लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो भगवा खेमे को निराश कर दिया। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को 43,174 मतों से हार का सामना करना पड़ा। इसमें बसपा प्रत्याशी उदराज वर्मा ने भी अहम रोल निभाया। बसपा प्रत्याशी को कुल 1,63,025 मत प्राप्त हुए। इसमें बसपा के कैडर वोट को छोड़ दिया जाए तो आधे वोट कुर्मी बिरादरी के है। कुर्मी बिरादरी भाजपा का बेस वोट बैंक माना जाता था। यदि इनमें आधे भी वोट भाजपा को मिलता तो लाजमी है कि मेनका की जीत सुनिश्चित रहती।