हल्द्वानी: सहायक किताबों की आड़ में कमीशन का खेल

हल्द्वानी: सहायक किताबों की आड़ में कमीशन का खेल

हल्द्वानी, अमृत विचार। सभी सरकारी और निजी स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्तकें पढ़ाई जानी हैं, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। अधिकतर निजी स्कूल सहायक किताबों (रेफरेंस बुक) की आड़ में कमीशन का खेल कर रहे हैं। वहीं शिक्षा विभाग इस मामले में मूकदर्शक बना हुआ है।

सीबीएसई के अनुसार स्कूलों में सिर्फ एनसीईआरटी की किताबें चलाई जानी हैं, लेकिन निजी स्कूल अधिकतर विषयों की सहायक किताबें खरीदने के लिए अभिभावकों को मजबूर कर रहे हैं। इसके पीछे स्कूलों का तर्क है कि सहायक किताबों में संबंधित विषय की अधिक जानकारी होती है।

जानकार बताते हैं कि सीबीएसई के सिलेबस में जनरल नॉलेज का विषय नहीं है, लेकिन कम उम्र में नींव अच्छी होने का हवाला देकर अभिभावकों से ये किताबें खरीदवाई जाती हैं। इन किताबों में एकरूपता नहीं है, हर स्कूल अपने हिसाब से प्रकाशक व सहायक किताब का चयन करता है। अभिभावकों का आरोप है कि इसके पीछे कमीशनखोरी का खेल है, जितनी महंगी किताब, उतना मोटा कमीशन। 

बता दें कि एनसीईआटी की अधिकतर किताबें 100 से 120 रुपये में आ जाती है, जबकि निजी स्कूलों की ओर से सुझाई गई किताबों का मूल्य 200 से शुरू होकर 1200 रुपये तक होता है। उधर, शिक्षा विभाग निजी स्कूलों को सहायक किताबों के दाम एनसीईआरटी की पुस्तकों से 10-20 प्रतिशत से अधिक न होने के निर्देश देकर कर्तव्य की इतिश्री कर रहा है।


स्कूल व अभिभावकों की बैठक में सहमतियां बनती हैं। निजी स्कूलों को अभिभावकों पर महंगी किताबें खरीदने का दबाव नहीं बनाने के लिए नियमित निर्देश दिए जाते हैं। वास्तविक शिकायत पर विभाग की ओर से कार्रवाई की जाती है।
- जगमोहन सोनी, मुख्य शिक्षा अधिकारी