संभल: सात दिन से गंगा में खड़े होकर मां दुर्गा की आराधना कर रहे सोहनलाल 

गुन्नौर क्षेत्र के गांव शाहजहांनाबाद का मामला, चर्चा होने पर मौके पर जुटे रहे लोग 

संभल: सात दिन से गंगा में खड़े होकर मां दुर्गा की आराधना कर रहे सोहनलाल 
गुन्नौर में गंगाजल में खडे होकर देवी आराधना करते सोहनलाल

संजीव वार्ष्णेय,संभल/बबराला। छठ पूजा पर्व पर नदी में कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देने की परंपरा है, लेकिन संभल जनपद के गुन्नौर तहसील अन्तर्गत गांव शाहजहांनाबाद निवासी सोहनलाल भगतजी सात दिनों से लगातार गंगा में खड़े रहकर मां दुर्गा की साधना कर रहे हैं। लगातार जल में रहने से उनके पैरों में जलीय जीव जंतुओं के काटने से घाव हो गये हैं लेकिन जल साधना में लीन सोहनलाल के चेहरे पर शिकन तक नहीं है। 

क्षेत्र के गांव शाहजहांनाबाद के निवासी भूतेंद्र प्रताप गोयल ने बताया कि चैत्र नवरात्र के पहले दिन मंगलवार से कमर तक गंगा जल में खड़े होकर साधना में लीन सोहनलाल भगतजी की बात इलाके में फैलने से लोगों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। गंगा कटरी के दुर्गम बीहड़ में शाम से देर रात तक श्रद्धालुओं के राम नाम संकीर्तन की गूंज सुनाई दे रही है। गांव शाहजहांनाबाद और रानीगंज के ग्रामीण रात को नियमित रूप से भजन कीर्तन करते हैं। सोहनलाल भगतजी के साधना स्थल तक पहुंचने के लिए गांव शाहजहांनाबाद से दो किमी कटीला झाड़ युक्त रेतीला रास्ता तय करना पड़ रहा है। यहां गंगा की जलधारा के बीच बांस बल्ली का घेरा बनाकर खड़े सोहनलाल भगतजी मां दुर्गा की साधना कर रहे हैं।

साधना करने से चर्चा का माहौल, पहुंच रहे लोग
गांव शाहजहांनाबाद निवासी रामपाल यादव ने बताया कि चैत्र नवरात्र के पहले दिन 9 अप्रैल को गंगा जल में उतरे सोहनलाल भगतजी उसी दिन से उपवास पर हैं। व्रताहार के नाम पर दिनभर में गंगा जल संग सिर्फ एक जोड़ा लौंग लेने का प्रण लिया था लेकिन लोगों ने जिद करके उन्हें फल खिलाना शुरू कर दिया है। भगतजी के गंगा जल में खड़े होकर तप करने की चर्चा से तमाम लोग वहां पहुंच रहे हैं। 

रात में रस्सी के झूले पर लेटते हैं सोहनलाल
साधना में लीन सोहनलाल भगतजी कहते हैं कि रात को आराम करने के लिए बांस बल्ली पर बांधे गए रस्सी के झूले पर ही लेट जाते हैं लेकिन उनके पैर गंगा जल में ही लटके रहते हैं। नवरात्र में गंगा नदी को ही साधना का केंद्र बनाने वाले सोहनपाल अविवाहित हैं। साधु संतों की संगत में रहने और अधिकतर पूजा पाठ में लगे रहने के कारण लोग उन्हें भगतजी उपनाम से पुकारा जाता है।

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