KGMU: दिल के आर पार हो गया था सरिया, 5 घंटे की जटिल सर्जरी कर डॉक्टरों ने बचाई मरीज की जान, विश्व में पहली बार हुई ऐसी Surgery

KGMU: दिल के आर पार हो गया था सरिया, 5 घंटे की जटिल सर्जरी कर डॉक्टरों ने बचाई मरीज की जान, विश्व में पहली बार हुई ऐसी Surgery

वीरेंद्र पांडेय/ लखनऊ, अमृत विचार। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के डॉक्टरों ने एक बार फिर चमत्कार किया है। 54 वर्षीय एक मरीज की जान बचाने में कामयाबी हासिल की। मरीज के दिल में सरिया घुस गया था। इतना ही नहीं सरिया दिल को चीरकर आर पार हो गया था। बताया जा रहा है कि ऐसे मरीज को दुनिया में अभी तक कहीं भी बचाया नहीं जा सका है। 

KGMU

यानी की 99 फ़ीसदी से अधिक मामलों में मरीज की मौत हो जाया करती है, लेकिन दुनिया का यह पहला ऐसा मामला है, जहां पर डॉक्टरों की मेहनत सफल हुई और मरीज की जान बच सकी है। 5 घंटे चले जटिल ऑपरेशन में 15 डॉक्टरों की टीम ने मिलकर मरीज के दिल से सरिया बाहर निकाल लिया है और मरीज की जान बचाई है। 

केजीएमयू के ट्रामा सर्जरी विभाग के डॉ.यादवेंद्र ने बताया कि 54 वर्षीय मरीज घायल अवस्था में ट्रामा सेंटर पहुंचा था। मरीज का नाम मुन्ना लाल था। उसके दहिने तरफ से एक सरिया घुसी हुई थी। सीटी स्कैन जांच में पता चला कि सरिया दिल के आर पार हो गई है। जांच रिपोर्ट के तुरंत बाद ट्रामा सर्जरी विभाग की टीम ने सर्जरी करने का फैसला लिया। मरीज की सर्जरी करीब 5 घंटे चली।

इस दौरान मरीज को कई यूनिट ब्लड चढ़ाने की जरूरत भी पड़ी। इस सर्जरी में कार्डियक सर्जरी और एनस्थीसिया के डॉक्टरों का भी सहयोग लिया गया। सर्जरी के दौरान मरीज का पूरा चेस्ट खोला गया। सरिया की लंबाई 65 सेमी थी, शरीर के अंदर करीब 45 सेमी सरिया घुसी हुई थी। इस सरिया ने फेफड़े के साथ दिल में भी इंजरी कर दी थी। इस तरह के मरीज नहीं बच पाते हैं।

दुनिया में कहीं पर भी दिल के आर पार सरिया हुई हो और मरीज बच गया हो, ऐसा मामला देखने को नहीं मिला है। पहली बार केजीएमयू के ट्रामा सेंटर इस तरह सर्जरी की गई और मरीज को बचाने में सफलता पाई है। पूरी सर्जरी में करीब पांच घंटे का समय लगा था।

डॉ.वैभव ने बताया कि इस मरीज की हालत बहुत गंभीर थी। यह मामला इसलिए भी अलग था कि इस तरह का मरीज ट्रामा सेंटर जीवित अवस्था में पहुंच पाया। मरीज के पहुंचते ही उसकी गंभीरता को देखते हुये तत्काल सर्जरी का फैसला लिया गया। उन्होंने कहा कि उस समय केवल एक बात मन में चल रही थी कि किसी भी तरह से मरीज की जान बचानी है। इसके बाद हमने सर्जरी शुरू की। मरीज का स्वास्थ्य ठीक है, लेकिन इसके बाद भी मरीज पर नजर बना के रखी गई है। यह देख जा रहा है कि मरीज के हार्ट को कितनी क्षति हुई है।

सर्जरी करने वाली डॉक्टरों की टीम

प्रोफेसर संदीप तिवारी, प्रोफेसर समीर मिश्रा, डॉक्टर यादवेंद्र, डॉ वैभव जायसवाल, डॉक्टर शाहनवाज, डॉक्टर आकांक्षा, डॉक्टर एकता, डॉ. रामबित, डॉ. ताहिर, डॉ. अंजना डॉ. विवेक, डॉ. जीशान, डॉ. बृजेश, डॉ. रति, डॉ. जिया अरशद, डॉ. तृप्ति, डॉ. शगुन, डॉ. सुनंदा, परमानन्द और महेन्द्र।

 

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