International Workers' Day : मनरेगा मजदूरों को नहीं मिलती पर्याप्त मजदूरी, आर्थिक स्थिति कमजोर

काम करने पर मजदूरी के मिलते हैं 237 रुपये,  सरकार ने इसी माह से बढ़ाएं हैं मजदूरी में सात रुपये ...प्राइवेट मजदूर लेते हैं 400 से 500 रुपये प्रतिदिन 

International Workers' Day : मनरेगा मजदूरों को नहीं मिलती पर्याप्त मजदूरी, आर्थिक स्थिति कमजोर

ज्वालानगर में मजदूरी करते मजदूर।

सुहेल जैदी, अमृत विचार। एक मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य मजदूरों की भलाई के लिए काम करना व मजदूरों में उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता लाना होता है। लेकिन, अभी कहीं ऐसा हो नहीं पाया है। मनरेगा मजदूरों को आठ घंटे की कड़ी मेहनत के बाद महज 237 रुपये प्रति दिहाड़ी के हिसाब से भुगतान किया जा रहा है। रामपुर जनपद में लगभग डेढ़ लाख मनरेगा मजदूर हैं। जोकि, एक दहाड़ी को दो शिफ्टों में पूरा करते हैं। अब मजदूर दिवस महज रस्म बनकर रह गया है। मनरेगा मजदूरों के अप्रैल 2024 में सात रुपये प्रति मजदूरी बढ़ाए गए हैं।

मजदूरों के लिए सरकार तमाम योजनाएं बनाती हैं। लेकिन, अधिकतर फाइलों में ही दम तोड़ देती हैं। कई मजदूरों को यह भी नहीं मालूम है कि एक मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है। मजदूर आज भी सबसे अधिक बदहाल स्थिति में है। सरकार मजदूरों के हित के लिए बातें तो बहुत बड़ी-बड़ी करती हैं मगर जब उनकी भलाई के लिए कुछ करने का समय आता है तो पीछे हट जाती है। इसीलिए मजदूरों की स्थिति में सुधार नहीं हो पाता है।  

मजदूर हितों के लिए बहुत बातें करती है, बहुत सी योजनाएं व कानून बनाती है। मगर जब उनको अमलीजामा पहनाने का समय आता है तो सब इधर-उधर ताकने लग जाते हैं। मजदूर फिर बेचारा मजबूर बनकर रह जाता है। मजदूर वर्ग की कड़ी मेहनत के बल पर ही राष्ट्र तरक्की करता है। बढ़ती महंगाई और पारिवारिक जिम्मेदारियों ने भी मजदूरों के उत्साह को कम कर दिया है। हर सुबह हामिद गेट, जामा मस्जिद और ज्वालानगर में मजदूर मजदूरी मिलने की आस में खड़े होते हैं। मजदूरों को 400 से 500 रुपये तक मजदूरी मिलती है।

90 दिन काम करने वाले मनरेगा मजदूरों का श्रम विभाग में हो रहा पंजीकरण
डीसी मनरेगा मंशाराम यादव बताते हैं कि मई दिवस श्रमिकों के लिए समर्पित दिवस है और महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना जो ग्रामीण जॉब कार्ड धारक हैं उनके मांग के अनुरूप उन्हें 100 दिन की रोजगार की गारंटी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्धता विभाग की है और इसके लिए कार्य योजना दो अक्टूबर को बनाई जा चुकी है और उनको निरंतर कार्य दिया जा रहा है। यह भी ध्यान रखा जा रहा है जो मजदूर 90 दिनों का कार्य पूर्ण कर ले रहे हैं उन्हें श्रम विभाग में अलग से पंजीकरण कराया जा रहा है। जिससे उस विभाग की योजनाओं का भी लाभ मिल सके। इस संबंध में किसी भी जॉब कार्ड धारक को कोई समस्या है तो वह संबंधित जनपद के अधिकारियों से अपनी बात को स्वतंत्र रूप से रख सकते हैं।

शहीद मजदूरों की याद में मनाया जाता है मई दिवस
उपायुक्त मनरेगा मंशाराम यादव बताते हैं कि अंतर्राष्‍ट्रीय तौर पर मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत एक मई 1886 को हुई थी। अमेरिका के मजदूर संघों ने मिलकर तय किया कि वे आठ घंटे से ज्‍यादा काम नहीं करेंगे। इसके लिए संगठनों ने हड़ताल की। हड़ताल के दौरान शिकागो की हेय मार्केट में बम ब्लास्ट हुआ, जिससे निपटने के लिए पुलिस ने मजदूरों पर गोली चलाई। इस घटना में सात मजदूरों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। इसके बाद वर्ष 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में ऐलान किया गया कि हेय मार्केट नरसंहार में मारे गए लोगों की याद में एक मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा। साथ ही इस दिन सभी श्रमिकों की छुट्टी रहेगी। भारत में मजदूर दिवस की शुरूआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्‍तान ने एक मई 1923 को चेन्नई में की थी। उस समय इसे मद्रास दिवस के रूप में मनाया जाता था। संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत आने वाली अंतर्राष्ट्रीय मजदूर संस्था दुनियाभर में मजदूरों का जीवन स्तर सुधारने की दिशा में काम करती है।  

जनपद में करीब डेढ़ लाख कार्ड धारक मनरेगा मजदूर हैं और उनकी सुविधा के अनुसार गर्मी के मौसम में सुबह 6 बजे से पूर्वाह्न 11 बजे तक और अपराह्न में 2 बजे से शाम 5 बजे तक मजदूरी दी जाती है। मनरेगा मजदूरी 237 रुपये प्रति दहाड़ी है। इससे पहले 230 रुपये प्रति दहाड़ी की दर से भुगतान होता था लेकिन, सरकार ने इसी माह से मजदूरों की दहाड़ी में सात रुपये का इजाफा कर दिया है।-मंशाराम यादव, डीसी मनरेगा

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