बलरामपुर: वन विभाग के रेन्जरों को डीएम का अल्टीमेटम, अपना सर्वोत्तम दें वरना कार्यवाही तय

बलरामपुर: वन विभाग के रेन्जरों को डीएम का अल्टीमेटम, अपना सर्वोत्तम दें वरना कार्यवाही तय

बलरामपुर, अमृत विचार। डीएम अरविन्द सिंह ने तराई क्षेत्र में तेदुओं के बढ़ते प्रकोप की खबरों तथा शीर्ष पर बैठे वनमाफियाओं के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही करने के बजाय थारू जनजाति के तथा  छोटे-छोटे लोगों पर पुलिस व वन विभाग द्वारा कार्यवाही की घटनाओं को बेहद गम्भीरता से लेते हुए वन विभाग के उच्चाधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किये हैं। 

बताते चलें कि तुलसीपुर तराई क्षेत्र में तेंन्दुएं के हमले की घटनाओं के बारे में विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचारों का स्वतः संज्ञान लिया है और वन विभाग के अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किये हैं। ज्ञातव्य है कि कुछ दिनों पूर्व ऐसी भी घटनाएं हुई हैं जिनमें तेंन्दुएं द्वारा बच्चों को निवाला बना लिया गया जो मानवीय दृष्टिगकोण से हृदय विदारक घटना है। 

गौरतलब है कि पूर्व में घटित वन्य जीव हमले की घटनाओं में जिलाधिकारी द्वारा वन विभाग द्वारा प्रभावी कार्यवाही में विलम्ब होने पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए वन विभाग के अधिकारियों को प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए थे जिसके बाद आदमखोर तेन्दुओं को पकड़ा जा सका था। पुनः इस प्रकार की घटनाएं संज्ञान में आते ही डीएम ने शनिवार को वन विभाग के उच्चाधिकारियों को सख्त निर्देश जारी कर प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करने को कहा है।

जिलाधिकारी  ने विभाग के अधिकारियों को आगाह किया है कि आगामी 09 अप्रैल से तुलसीपुर राजकीय मेले का शुभारम्भ हो रहा है साथ ही लोकसभा चुनाव एवं गैसड़ी विधानसभा का उपचुनाव भी होना है। गैसड़ी विधानसभा का अधिकांश क्षेत्र वन क्षेत्र से आच्छादित है जिसमें कुछ मतदान केन्द्र वन्य क्षेत्र में पड़ते हैं। 

वहीं नवरात्रि मेले के दौरान तुलसीपुर मन्दिर पर भारी संख्या में तराई क्षेत्र से श्रद्धालुओं का आवागमन होता है। ऐसी दशा में वन्य जीव के हमले का भय श्रद्धालुओं एवं मतदान कार्मिकों में हो सकता है। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को इन घटनाओं को बेहद गम्भीरता एवं सर्वोच्च प्राथमिकता पर लेते हुए वन्य जीव हमलों से बचाव को लेकर प्रभावी रणनीति के साथ तत्काल कार्यवाही शुरू करने क निर्देश दिए हैं।

वहीं जिलाधिकारी ने वन विभाग एवं पुलिस द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सक्रिय वन माफियों पर कार्यवाही करने के बजाय जनजातीय (थारू) एवं ग्रामीण लोंगों पर कार्यवाही किये जाने पर कड़ा रूख अपनाते हुए चेतावनी दी है कि क्षेत्र के व्यक्तियों के विरूद्ध तथाकथित वन सम्बन्धी छोटे-मोटे अपराधों के आधार पर कार्यवाही करने से पूर्व परीक्षण कर लिया जाय तथा शीर्ष पर बैठे माफिया जो स्वयं प्रत्यक्ष रूप से घटनाओं में शामिल न होकर दूसरे से अपराध कराते हैं उन्हें चिन्हित करते हुए उनके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के अन्तर्गत पुलिस के सहयोग से गैंगचार्ट तैयार करते हुए कार्यवाही के लिए समस्त विधिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए पुलिस अधीक्षक के माध्यम से उनके न्यायालय पर पत्रावली प्रस्तुत करें। 
   
जिलाधिकारी ने वन विभाग के सभी रेन्जरों को चेतावनी दी है कि यदि उन लोगो द्वारा अपना सर्वोत्तम नहीं दिया गया और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष टॉप पर बैठे वन माफियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं कराई गई तो वे स्वयं इसकी समीक्षा क्राइम मीटिंग में करेगें। 

उन्होंने सचेत किया है कि वन माफियाओं द्वारा अवैध धन का प्रयोग लोकसभा चुनाव में भी किया जा सकता है, इसलिए ऐसे अराजक तत्वों को चिन्हित कर कार्यवाही प्रारम्भ कर दें। जिलाधिकारी ने कहा कि दुर्भाग्य का विषय है कि पूर्व के वर्षों में जनपद की ख्याति वन माफियाओं एवं अवैध कटान की थी। परन्तु अब यह सब नहीं चलने वाला है। वन माफिया किसी भी स्तर का हो उन सभी के खिलाफ शिकंजा जरूर कसा जाएगा और कानून के तहत कठोर कार्यवाही करते हुए उन्हें सलाखों के पीछे भेजा जाएगा। 

जिलाधिकारी ने कहा है कि वन माफियाओं पर उनकी व्यक्तिगत नजर है। गोपनीय सूचनाओं के आधार पर ऐसी घटनाओं के संज्ञान में आने या वन विभाग, राजस्व विभाग एवं पुलिस विभाग अधिकारियों की किसी प्रकार की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संलिप्तता पायी जाती है तो निश्चित ही सम्बन्धित अधिकारी के खिलाफ कानून के तहत कठोर कार्यवाही की जाएगी।

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