Bareilly News: कभी देखा है '200 साल पुराना हॉटकेस'...कैसे करता था काम?, जानकर रह जाएंगे हैरान
प्रीति कोहली, बरेली। आज कल बाजारों में कई तरह के प्लास्टिक के डिजाइनर हॉटकेस उपलब्ध हैं, जिसे लोग खरीदना भी बेहद पसंद करते हैं। क्योंकि इन हॉटकेसों में रखा खाना कई घंटों तक गर्म रहता है। जिससे इसमें रखा खाना बिना गर्म किए कई घंटों बाद भी खाया जा सकता है। लेकिन अक्सर लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि खाना गर्म करने के लिए हॉटकेस का इस्तेमाल कब शुरू हुआ।
तो हम आपको बता दें 200 साल पहले भी लोग खाना गर्म रखने के लिए हॉटकेस का इस्तेमाल करते थे। जिसमें खाना गर्म रखने का तरीका भी कुछ अलग ही हुआ करता था। आपको बता दें, रुहेलखंड यूनिवर्सिटी परिसर में स्थित पांचाल संग्रहालय में 200 से अधिक साल पुराने कई बर्तन रखे हुए हैं, जो खुद में इतिहास को समेटे हुए हैं। इन्हीं में से एक है 200 साल पुराना हॉटकेस।
पांचाल संग्रहालय के रिसर्च एसोसिएट डॉ. हेमंत मनीषी शुक्ला ने बताया कि प्रोफेसर अभय कुमार जोकि वर्तमान में नालंदा विश्वविद्यालय में कुलपति हैं। उन्होंने ही अपने परिवार के 200 साल पुराने बर्तन यहां दान में दिए हैं। जोकि मुरादाबाद में बनाए गए थे। इन बर्तनों में एक बेहद विलक्षण हॉटकेस भी है। जिसकी टोंटी खोलकर इसमें खौलता हुआ पानी भरकर इसे बंद कर दिया जाता था। जिसके बाद इसके स्टील के प्लेट में जब रोटी या सब्जी रखी जाती थी तो वह एक घंटे तक उसी प्रकार गर्म रहा करती थी।
इसके अलावा कांस्य और पीतल का कलश, डेकोरेटेड प्लेटस, पानदान भी है, जिसे आसानी से कहीं भी ले जाया करते होंगे। एक बेहद सुंदर एक केतली भी है, जिसके ऊपर चांदी की परत चढ़ी हुई है। वहीं एक पात्र और भी है, जो खाने की चीजों को गर्म करने के काम आता था। साथ ही तांबे के गोलटे भी हैं। इन सभी को यहां पर शोकेस में लगाया गया है।
उन्होंने कहा कि आज के समय में लोग अपने घरों में प्लास्टिक के हॉटकेस का इस्तेमाल करते हैं। अगर उसमें गर्म खाद्य पदार्थ रखकर उनका सेवन करते हैं तो कई रिसर्च में साबित हुआ है कि वह हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में अगर हम फिर से धातु के बर्तनों का हॉटकेस के रूप में इस्तेमाल करें तो निसंदेह कई बीमारियों से दूर रहे सकते हैं।
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