Prayagraj News : दुष्कर्म के मामलों में पीड़िता की कहानी हमेशा सत्य नहीं होती
प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यौन शोषण के आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि इसमें संदेह नहीं है कि दुष्कर्म के मामले में पीड़िता के बयान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, लेकिन इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि आजकल यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि सभी मामलों में पीड़िता हमेशा पूरी कहानी सच ही बताएगी।
उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की एकलपीठ ने आरोपी को जमानत देते हुए की। आरोपी के खिलाफ विवाहित पीड़िता को शादी का झांसा देकर उसे सरकारी नौकरी दिलाने का वादा करके उसका यौन शोषण करने तथा उसकी तस्वीरें वायरल करने के आरोप में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। याची को गत वर्ष अगस्त में गिरफ्तार किया गया, तब उसने जमानत के लिए हाईकोर्ट में मौजूद याचिका दाखिल की। याची के अधिवक्ता का तर्क है कि पीड़िता ने याची के साथ सहमति और स्वेच्छा से संबंध बनाया था और जब पति तथा परिवार के अन्य सदस्यों को याची के साथ पीड़िता के संबंध के बारे में पता चला तो पीड़िता ने अपनी जान बचाने के लिए याची के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी।
याची ने आगे यह भी बताया कि पीड़िता पहले से ही विवाहित है, इसलिए याची की ओर से पीड़िता के साथ विवाह का वादा करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता।अंत में कोर्ट ने याचिका पर विचार करते हुए पाया कि विवाहित होने के बावजूद महिला ने याची के साथ विवाहेतर संबंध बनाए। अगर मौजूदा संबंध से पीड़िता की सहमति नहीं थी तो वह शुरू में ही शिकायत कर सकती थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया बल्कि याची की सहमति से खुद का यौन शोषण होने दिया और याची के आग्रह पर वह अपने वैवाहिक घर को छोड़कर अपने माता-पिता के घर चली आई। इस प्रकार दुष्कर्म के आरोप और पीड़िता की कहानी को झूठ मानते हुए याची को जमानत दे दी गई।
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