इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश : तथ्यों को छिपाकर याचिका दाखिल करने पर लगाया 50 हजार का जुर्माना
प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे एक जोड़े की सुरक्षा याचिका खारिज करते हुए 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाते हुए कहा कि महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपकर मौजूदा याचिका दाखिल की गई है। अतः याचिका को निराधार मानते हुए खारिज किया जाना उपयुक्त है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की एकलपीठ ने पुलिस विभाग में कार्यरत और वर्तमान में चाइल्ड केयर अवकाश पर चल रही विवाहित महिला और उसके साथी की याचिका को खारिज करते हुए दिया।
कोर्ट ने याचिका पर विचार करते हुए पाया कि याचियों ने अपनी सुरक्षा याचिका में यह तथ्य छिपाया था कि पुरुष साथी ने अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना महिला याची के साथ संबंध बनाया था। याचियों ने पुलिस से सुरक्षा की मांग करते हुए हाईकोर्ट के समक्ष दाखिल याचिका में दावा किया था कि वह अपने माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे थे। सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि महिला याची धर्म से हिंदू है और पुलिस विभाग में कार्यरत है। वह पहले से ही विवाहित है और फिलहाल चाइल्ड केयर लीव पर है।
पुरुष याची मुस्लिम संप्रदाय का है और वह भी विवाहित है तथा 12 वर्षीय बच्चे का पिता है, लेकिन उसने अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना महिला याची के साथ लिव-इन में रहना शुरू कर दिया था। अंत में कोर्ट ने तथ्यों को छिपाकर याचिका दाखिल करने पर याचियों को फटकार लगाई और 30 दिनों के भीतर कर्मचारी कल्याण निधि, हाईकोर्ट, इलाहाबाद के खाते में जुर्माना राशि जमा करने का निर्देश दिया।
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