मुरादाबाद : चार लाख रुपये, तीन मोबाइल की चोरी में दो कांस्टेबल को हवालात में डाला, जानिए पूरा मामला

अपमानित कर ड्यूटी से जबरन थाने ले गए तीन पुलिसकर्मी, थानाध्यक्ष के सामने किया पेश ,मनमाफिक मेडिकल रिपोर्ट बनवाने का भी प्रयास

मुरादाबाद : चार लाख रुपये, तीन मोबाइल की चोरी में दो कांस्टेबल को हवालात में डाला, जानिए पूरा मामला

मुरादाबाद,अमृत विचार। दो साथी कांस्टेबल पर चार लाख रुपये और तीन मोबाइल की चोरी लगाकर उन्हें न सिर्फ बावर्दी हवालात में डाला बल्कि उन्हें फंसाने के लिए मनमाफिक मेडिकल रिपोर्ट भी बनवाने की कोशिश की। डॉक्टरों ने इनकार किया तो दोनों कांस्टेबल को लेकर विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) पहुंच गए। यह गंभीर आरोप मैनाठेर थानाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह पर लगे हैं। परेशान दोनों कांस्टेबल रविश कुमार और कृष्ण पाल गुरुवार को डीआईजी के सामने पेश हुए हैं और थानाध्यक्ष व साथी कांस्टेबलों पर आरोप लगाते हुए आपबीती सुनाई।

कांस्टेबल रविश कुमार इन दिनों पुलिस लाइन में सीआर-ड्यूटी (जेल से कोर्ट में आरोपी को लाने व वापस ले जाने) पर हैं, जबकि कांस्टेबल कृष्ण पाल मैनाठेर थाने में ही ड्यूटी कर रहे हैं। रविश कुमार ने डीआईजी को बताया है कि सीआर ड्यूटी को वह 24 फरवरी को पुलिस लाइन आए थे। अगले दिन 25 फरवरी की शाम गणना के बाद रात करीब 9 बजे कांस्टेबल मनोज पवार ने उन्हें फोन कर मिलने को पुलिस लाइन में बहुमंजिला आदर्श बैरक के पास बुलाया था, जहां मनोज ने मैनाठेर थानाध्यक्ष को फोन मिलाकर रविश से कहा कि कोतवाल साहब से बात करो। 

कांस्टेबल रविश कुमार का कहना है कि उनसे थानाध्यक्ष ने कहा कि जेल जाना चाहते हो तो कोई बात नहीं, अपने को बचाना चाहते हो तो कांस्टेबल मनोज पंवार के साथ गाड़ी पर बैठकर चुपचाप थाने आओ। कांस्टेबल रविश का आरोप है कि फिर मनोज पंवार ने सरकारी पिस्टल निकालकर उनकी कनपटी पर लगा दी और गाली-गलौज कर धकेल कर अपनी गाड़ी में बैठा लिया। कार में ड्राइवर की सीट पर पहले से हेड कांस्टेबल रिजवान खां बैठे थे, जबकि पीछे सीट पर कांस्टेबल नितिन कुमार बैठा था।

पीड़ित का आराेप है कि पुलिस लाइन में बिना किसी को सूचित किए उन्हें जबरन मैनाठेर थाने ले जाकर थानाध्यक्ष के सामने पेश किया। थानाध्यक्ष ने उनसे कहा कि कांस्टेबल मनोज पंवार के बक्शे में रखे चार लाख रुपये और तीन मोबाइल की जो चोरी की है वह वापस कर दो, अन्यथा जेल भेजूंगा या फिर एनकाउंटर करा दूंगा। जिस पर रविश कुमार ने कहा कि उन्होंने कोई चोरी नहीं की, इस संबंध में उनके रूम पार्टनर कांस्टेबल कृष्ण पाल से पूछ लिया जाए। फिर कांस्टेबल कृष्ण पाल से भी पूछताछ हुई। आरोप है कि इसी बीच उन दोनों (रविश-कृष्ण पाल) को मारपीट कर हवालात में डाल दिया गया, जबकि ये दोनों कांस्टेबल वर्दी में थे।
एसपी देहात करेंगे मामले की जांच

डीआईजी मुनिराज जी ने दोनों कांस्टेबल की बात सुनकर उनके मामले में जांच के लिए एसपी देहात को निर्देश जारी किए हैं और कार्रवाई के लिए अगले तीन दिन में रिपोर्ट मांगी है। बुधवार को दोनों कांस्टेबल एसएसपी हेमराज मीना के सामने पेश हुए थे तो एसएसपी ने भी एसपी देहात संदीप कुमार मीना को जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था।


कांस्टेबल मनोज पंवार के कमरे में चोरी हो गई थी। वह किराए पर रहता है। उसके बाॅक्स से करीब 20-21 हजार रुपये और टॉर्च चोरी हुई थी। इस मामले में एफआईआर नहीं दर्ज है। कांस्टेबल रविश कुमार व कृष्ण पाल बुधवार को एसएसपी से मिले थे और गुरुवार को डीआईजी से मिले हैं। वह जो आरोप लगा रहे हैं, वह निराधार हैं। - सत्येंद्र सिंह, थानाध्यक्ष-मैनाठेर

एक कांस्टेबल के कमरे से कुछ चोरी हुई है। इसके अलावा कोई मामला नहीं है। कांस्टेबल रविश कुमार व कृष्णपाल को कहीं कोई हवालात में नहीं डाला गया है, हमनें इस मामले में संबंधित लोगों से पूछताछ की है। जांच कर रहे हैं। - संदीप कुमार मीना, एसपी देहात

गलत रिपोर्ट बनाने को थानाध्यक्ष ने डॉक्टर पर बनाया दबाव
मुरादाबाद। पीड़ित दोनों कांस्टेबल कांस्टेबल रविश कुमार और कृष्ण पाल ने डीआईजी को बताया, हवालात में डालने के कुछ देर बाद थानाध्यक्ष ने दरोगा रविंद्र कुमार व हेड कांस्टेबल रिजवान खां व कांस्टेबल अंकित कश्यप को उन दोनों को चिकित्सीय परीक्षण कराने सीएचसी कुंदरकी भेजा था। रिपोर्ट नार्मल आई तो दरोगा रविंद्र के बताने पर थानाध्यक्ष ने डॉक्टर पर फोन पर दबाव बनाया। डॉक्टर ने गलत रिपोर्ट से इनकार किया तो रेफर कराकर जिला अस्पताल भेजा, जहां डॉक्टर ने दूसरे दिन बुलाया लेकिन, ब्लड टेस्ट नहीं किया। इस पर दरोगा व अन्य पुलिसकर्मी उन्हें एफएसएल ले गए, जहां बड़े बाबू ने दरोगा से कहा कि यहां जांच नहीं होती केवल मुकदमा संबंधी बिसरा आते हैं। इस पर दरोगा उन दोनों को फिर थाने ले जाकर थानाध्यक्ष के सामने पेश किया और वहां काफी सख्ती से पूछताछ की गई। दोनों कांस्टेबल ने घटना स्वीकार करने से मना कर दिया। आरोप है कि थानाध्यक्ष ने उन्हें धमकाया कि चार लाख रुपये और तीनों मोबाइल वापस कर दो, अन्यथा अंजाम बहुत बुरा होगा।

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