पीलीभीत: पहले शव ले जाने को नहीं दिया वाहन, अब जांच में भी लापरवाही... 6 दिन बाद भी शुरू नहीं

पीलीभीत: पहले शव ले जाने को नहीं दिया वाहन, अब जांच में भी लापरवाही... 6 दिन बाद भी शुरू नहीं

पीलीभीत, अमृत विचार: झोपड़ी में लगी आग में जलकर मरने वाली वृद्धा का शव ले जाने को शव वाहन मुहैया न कराने के मामले में मामले में जांच के आदेश कर दिए गए। मगर लापरवाही की जांच में भी बेपरवाही सामने आ रही है। पहले तो परिवार को शव वाहन नहीं मुहैया कराया गया।

जब वीडियो वायरल हुआ, तो एमओआईसी फॉर्मासिस्ट को वहां से हटाते हुए वार्ड ब्यॉय को निलंबित करने के आदेश कर दिए थे। मगर जिम्मेदारों ने इसमें भी खेल कर दिया। खास बात है कि जस वार्ड ब्यॉय को निलंबित करने की बात कही गई थी उसे निलंबित न कर सिर्फ स्थानातंरण आदेश जारी किया गया। इसके अलावा आदेश के छह दिन बाद भी अभी तक जांच पड़ताल शुरु नहीं हो सकी है।

बता दें कि बिलसंडा थाना क्षेत्र के गांव गौहनिया निवासी 90 वर्षीय देवकी देवी झोपड़ी में अकेले रहती थी। कुछ ही दूरी पर दूसरी झोपड़ी में बेटा विजयपाल अपने परिवार के साथ रहता है। 26 जनवरी की रात शीतलहर से राहत पाने के लिए वृद्धा ने झोपड़ी में अलाव जलाया था।

अलाव से उठी चिंगारी से झोपड़ी में आग लग गई और उसमें सो रही वृद्धा देवकी देवी चपेट में आ गई। सूचना पर पहुंची पुलिस वृद्धा को सीएचसी बिलसंडा ले गए थे। वहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था।  परिवार वालों ने शव का पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया था। मगर, गांव तक मां का शव ले जाने के लिए वाहन की मांग की गई थी।

आरोप है कि सीएचसी के जिम्मेदारों ने शव ले जाने के लिए शव वाहन मुहैया कराने से इनकार कर दिया। रात भी सीएचसी में ही शव रहा। दूसरे दिन 27 जनवरी की सुबह परिवार ने ठेले की व्यवस्था की और फिर उसी पर गद्दे-चादर बिछाकर शव ले गए थे। फिर गमगीन माहौल में शव का अंतिम संस्कार कर दिया था।

29 जनवरी को  सीएचसी से ठेले पर लादकर शव ले जाते हुए के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई थी।  सीएमओ ने आनन फानन में एमओआईसी डॉ.मनीष राज शर्मा, फार्मासिस्ट एएन अंसारी को सीएचसी से हटाते हुए उन्हें मुख्यालय से अटैच कर दिया।

जबकि वार्ड ब्यॉय एम के पांडे को निलंबित करने की बात कही थी। इस प्रकरण की जांच अधिकारी नियुक्त था। मगर छह दिन बीतने के बाद भी इस गंभीर प्रकरण में यह तक जाने का प्रयास नहीं किया गया कि आखिरकार दो शव वाहन होने के बाद भी वह मौके पर क्यों नहीं पहुंचा। क्या कारण था जो वाहन के लिए मना किया गया।

जांच अधिकारी अवकाश पर होने की बात कह रहे हैं। इसके अलावा जिस वार्ड ब्यॉय के निलंबन करने की बात सीएमओ द्वारा बताई गई थी। उसे निलंबित न करते हुए आदेश में उसका सिर्फ तबादला किया गया है। वार्ड ब्यॉय को सीएचसी बिलसंडा से पीएचसी भरतपुर हजारा स्थानांतरण किया गया। वहीं, फार्मासिस्ट को भी पीएचसी गभिया सहराई भेज दिया है।

एसीएमओ को प्रकरण की जांच दी गई है। अभी जांच रिपोर्ट प्राप्त नहीं हो सकी है। जांच रिपोर्ट मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। चूंकि अभी जांच रिपोर्ट नहीं मिली है। इसी वजह से निलंबन नहीं किया गया। हालांकि स्थानांतरण कर दिया गया है। मामला दबाया नहीं गया है--- डॉ.आलोक कुमार, सीएमओ।

उच्चाधिकारियों के द्वारा जांच दी गई है। चूंकि अवकाश पर आ गया था। इस वजह से अभी जांच शुरू नहीं हो सकी है। अवकाश से लौटने के बाद गंभीरता से सभी बिंदुओं पर जांच कर रिपोर्ट दी जाएगी--- डॉ.हरिदत्त नेमी, एसीएमओ/जांच अधिकारी।

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