लखनऊ : 27 पेज और 97 पैरा के बजट में कर्मचारियों के हाथ लगी निराशा, जानें संगठनों ने क्या कहा....

लखनऊ : 27 पेज और 97 पैरा के बजट में कर्मचारियों के हाथ लगी निराशा, जानें संगठनों ने क्या कहा....

लखनऊ, अमृत विचार। बजट-2024  पेश करने से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्र सरकार की उपलब्धियां बताईं। उसके बाद बजट पेश किया। जिस पर उत्तर प्रदेश के कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। वहीं उत्तर प्रदेश फार्मासिस्ट फडरेशन की तरफ से कहा गया है कि इनकम टैक्स में कोई छूट ना दिए जाने, पुरानी पेंशन,  ठेकेदारी प्रथा और संविदा की जगह स्थाई रोजगार सृजन की घोषणा नही होने से केवल कर्मचारियों को नहीं बल्कि आम जनता को भी नुकसान हुआ है। इस बजट से 35 लाख फार्मेसिस्टों की तकनीकी क्षमता का जनता को फायदा नहीं मिलेगा। साथ ही अन्य योजनाओं की तरह सभी को चिकित्सा और स्वास्थ्य का अधिकार भी मिलना चाहिए।

सुनील यादव
सुनील यादव, अध्यक्ष, फार्मासिस्ट फेडरेशन

 

उत्तर प्रदेश फार्मासिस्ट फडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने कहा है कि भारत सरकार का अंतरिम बजट कर्मचारी हित के मामले में निराशाजनक है । पूरे बजट में कर्मचारियों के हित के लिए कोई घोषणा नहीं है । पुरानी पेंशन की घोषणा नहीं की गई, संविदा प्रथा और ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करने के स्थान पर बढ़ावा दिया जा रहा है, स्थाई रोजगार सृजन न होने से तकनीकी योग्यता धारक लोगों को अल्प वेतन और भविष्य की असुरक्षा के बीच कार्य करना पड़ रहा है। सरकार आमजन के लिए अनेक योजनाएं लेकर आ रही है लेकिन सभी के लिए स्वास्थ्य और चिकित्सा का अधिकार भी लागू किया जाना जनहित में है ।

यह पूरा देश मानता है कि आपदा काल में देश का सरकारी कर्मी और फार्मा उद्योग ने बड़ी जनहानि को रोका था, देश का नाम विश्व पटल पर स्वर्णाक्षरों में लिखा गया, लेकिन 27 पेज के 97 पैरा वाले बजट भाषण में वित्त मंत्री जी ने एक बार भी सरकारी कर्मियों के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया । कर्मचारी सरकार की नीतियों का पालन करता है और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है, लेकिन कर्मचारियों को हमेशा ही सौतेलेपन का शिकार होना पड़ता है अधिकांश सरकारी कर्मी इस देश के मध्यम वर्ग का नागरिक है जो देश की अर्थव्यवस्था का मूल आधार है । सरकारी कर्मचारी सबसे ज्यादा इनकम टैक्स देने वाला होता है और सबसे ईमानदारी के साथ आयकर का भुगतान करता है इसलिए हमेशा यह आशा रहती है कि सरकार अपने बजट में सरकारी कर्मचारियों के लिए भी कुछ ना कुछ राहत देगी और उनके विकास के लिए कुछ ना कुछ योजना लेकर आएगी ।

देश में फार्मेसी क्षेत्र में अपर संभावनाएं हैं, तकनीकी रूप से श्रेष्ठ मानव संसाधन ' फार्मेसिस्ट' उपलब्ध हैं । देश में ड्रग रिसर्च, निर्माण, औषधि व्यापार , चिकित्सालयों में फार्मेसिस्ट की अनिवार्यता के साथ चिकित्सालयों में फार्माकोविजिलेंस की घोषणा आवश्यक थी । देश में लगभग 35 लाख योग्य फार्मा तकनीकी योग्यता धारक है, आखिर इनकी तकनीकी क्षमता का उपयोग कहां होगा यह विचारणीय है । बजट में मेडिकल कॉलेज बनाए जाने की घोषणा तो की गई है लेकिन वर्तमान ढांचा का उपयोग करते हुए । व्यवहारिक रूप से वर्तमान ढांचा को मेडिकल कॉलेज बनाए जाने पर जनता को निःशुल्क औषधियां, निशुल्क इलाज और सुविधाएं जो पूर्व से उपलब्ध हो रहीं थीं, उसके बारे में कोई योजना नहीं होती, वहीं कर्मचारियों के पदों में बड़ी विषमता पैदा हो जाती है । बजट में स्थाई रोजगार की घोषणा नहीं है, कर्मचारी कल्याण की घोषणा नहीं हुई है अतः यह बजट कर्मचारी हितों के प्रतिकूल है।

निराश करने वाला बजट

अतुल मिश्रा
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा

 

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने इस बार के बजट को कर्मचारियों के लिए निराशा पैदा करने वाला बताया है। पूरे बजट में कर्मचारियों के लिए कोई घोषणा नहीं की कई है। यह बजट कर्मचारियों के प्रतिकूल है। इस बजट से कर्मचारियों का नुकसान आने वाले समय में पता चलेगा। यह हाल तब है जब कर्मचारी ही सरकार की योजनाओं को पूरा कराने में अहम योगदान देता है। इसके बाद भी कर्मचारियों की अनदेखी कई सवाल भी खड़े करती है। पहला सवाल तो यही है कि क्या सरकार कर्मचारियों को दूसरे दर्जे का नागरिक समझती है।

इस सरकार ने कर्मचारियों के लिए कुछ नहीं किया

अरविंद निगम (1)
केजीएमयू स्थित लिंब सेंटर के पूर्व कार्यशाला प्रबंधक अरविंद निगम

 

केजीएमयू स्थित लिंब सेंटर के पूर्व कार्यशाला प्रबंधक अरविंद निगम इस सरकार से मध्यम वर्गीय, सरकारी कर्मचारी कोई आशा न रखे, पूर्ववर्ती इतिहास देख लें सरकारी कर्मचारियों के लिए ये सरकार हमेशा उदासीन रही है। कोई उम्मीद भी नही था आज जो डीए की समानता है या वेतन आयोग वो सब गैर बीजेपी सरकारों की देन है, 7th पे कमीशन में क्या किया गया है हम सब जानते हैं। खैर चुनने वाले तो हम लोग ही हैं तो प्रसाद तो खाना ही पड़ेगा।

निजीकरण की ओर भागती जा रही सरकार :  विजय कुमार बंधु

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NMOPS के राष्ट्रीय अध्यक्ष व अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बन्धु

 

नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम NMOPS के राष्ट्रीय अध्यक्ष व अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बन्धु ने आज संसद में केंद्रीय वित्तमंत्री की तरफ से लाये गए बजट को बेहद निराशाजनक बताते हुए कहा कि यह बजट वर्तमान सरकार का आखिरी बजट था, इस बजट के बाद सरकार को चुनाव में जाना है। इस कारण देश का लाखों शिक्षक व कर्मचारी प्रधानमंत्री की तरफ काफी आशा भरी नजरों से देख रहा था कि भारत सरकार बजट में पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा करेगी किंतु पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा न होने से शिक्षक व कर्मचारियों में मायूसी है। यह देश का दुर्भाग्य है कि देश कि सेवा में दिन-रात लगे रहने वाले करोड़ों कर्मचारियों के मुद्दे पर कोई फैसला नहीं लिया गया। निजीकरण बढ़ता जा रहा है, रोजगार पर भी कोई स्पष्ट विजन नहीं आया, जिससे रोजगार के अवसर भी उपलब्ध नहीं होगे और आउटसोर्सिंग संविदा के तहत कर्मचारियों का शोषण लगातार जारी रहेगा।।

प्रदेश महामंत्री डॉक्टर नीरजपति त्रिपाठी ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि शिक्षक कर्मचारियों के विषय पर वर्तमान सरकार संवेदनहीन है जबकि देश के विकास में उसका अतुलनीय योगदान है उसके बाद भी इस तरह नजरअंदाज करना सरकार की नियति व नीति दोनो दर्शाता है। प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि कर्मचारी को टैक्स स्लैब में राहत न मिलने से भारी निराशा है। लोगों को बहुत उम्मीदें थी पर सरकार ने निराश किया।

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