पीलीभीत: स्मैक का धंधेबाज बना परिवार, पुलिस बेखबर..अब लूट रहे वाहवाही!

पीलीभीत: स्मैक का धंधेबाज बना परिवार, पुलिस बेखबर..अब लूट रहे वाहवाही!

पीलीभीत, अमृत विचार। कलीनगर कस्बे में घर और कार से घूम-घूमकर एक परिवार स्मैक का धंधा कर रहा था। माधोटांडा थाना पुलिस को इसकी भनक ही नहीं लगी।

पूरनपुर में सीओ ने एक युवक को मादक के साथ पकड़ा और पूछताछ की तो कलीनगर में एक परिवार द्वारा बेखौफ होकर मादक पदार्थ का धंधा चलाने का पता  चला। इसके बाद खुद सीओ ने पुलिस बल के साथ दबिश दी और दंपति और बेटे को धर दबोचा। तीनों को रिपोर्ट दर्ज कर जेल भेज दिया है।

बता दें कि माधोटांडा पुलिस को बुधवार रात करीब आठ बजे सीओ पूरनपुर आलोक सिंह ने कॉल कर बताया कि पूरनपुर एक युवक को स्मैक के साथ पकड़ा गया है। पूछने पर उसने कलीनगर कस्बे के रामेश्वर दयाल उर्फ कल्लू गुप्ता से स्मैक खरीदने की बात कही है। यह भी बताया कि रामेश्वर दयाल, उसका बेटा अखिल गुप्ता अपनी  कार से चलते फिरते स्मैक बेचने का काम करते हैं। जबकि पत्नी कमलेश घर पर रहकर मादक पदार्थ बेचती है। सीओ ने खुद रास्ते में होने की बात कहते हुए कलीनगर पहुंचने के निर्देश दिए। 

इस पर माधोटांडा पुलिस भी कलीनगर चौराहा पर पहुंच गई। सीओ पूरनपुर भी आ गए।  इसके बाद पुलिस बल ने रामेश्वर दयाल के घर दबिश दी और महिला कमलेश को रंगेहाथ मादक पदार्थ के साथ  धर दबोचा। इसके बाद कस्बा कलीनगर में ही उसके पुराने मकान से पति और बेटे को भी धर दबोचा। उनके पास से भी स्मैक बरामद की गई। कार को भी पुलिस ने कब्जे में ले लिया।  

इनके पास से 40 ग्राम स्मैक, 32 ग्राम स्मैक अलग से 40 पुड़ियों में बरामद की गई। दरोगा मनोज कुमार की ओर से तीनों के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज की गई। गुरुवार को चालान कर कोर्ट में पेश करके उन्हें जेल भेज दिया है।

200 से 300 रुपये में बेचते थे एक पुड़िया
पकड़े गए अभियुक्तों से पुलिस ने पूछताछ की। उनके पास से सिल्वर पेपर में लिपटी हुई स्मैक की पुड़िया भी बरामद हुई थी। इसे लेकर जब सवाल जवाब किए गए तो उन्होंने बताया कि वह इसे फुटकर में बेचा करती थी। एक पुड़िया के 200 से 300 रुपये  मिल जाते थे। पुलिस के मांगने पर इससे जुड़ा कोई लाइसेंस भी नहीं दिखा सके।

पुलिस नहीं कबूल करा पाई मुख्य स्रोत
हर बार की तरह इस बार भी पुलिस की कार्रवाई गुड वर्क करने तक सीमित रही। पुलिस ने दंपति और उसके बेटे की गिरफ्तारी पर पीठ तो थपथपाई, लेकिन ये पता नहीं लगाया जा सका कि आखिर इस धंधे के मुख्य स्रोत कहां तक है। आरोपियों को स्मैक की डिलीवरी कौन देता था? पुलिस का तर्क है कि काफी पूछने के बाद भी आरोपियों ने इसे लेकर कुछ नहीं बताया।

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