बरेली: 'हलाल सर्टिफिकेट' गैर शरई, कुछ संस्थाओं का पैसा कमाने का है ये तरीका, न दे मुसलमानों को धोखा- शहाबुद्दीन रजवी
बरेली, अमृत विचार। इस समय हलाल सर्टिफिकेट को लेकर पूरे देश में चर्चाएं गरमाई हुई है। लोग भी असमंजस का शिकार हैं और मीडिया में भी मुद्दा बना हुआ है। वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश सरकार कार्रवाई करने पर तुली हुई है। इसी मुद्दे को लेकर देश भर से मुसलमान हलाल सर्टिफिकेट को लेकर सवाल कर रहे हैं। इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने स्पष्ट करने के लिए बयान जारी किया है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ सर्टिफिकेट के नाम से एक कागज का टुकड़ा दे देने से शरई तौर पर हराम चीज को हलाल और हलाल चीज को हराम नहीं कहा जा सकता। ऐसे लोग और वो संस्थाएं जो सिर्फ कागज का सर्टिफिकेट देकर किसी चीज को हलाल करार देते है तो वो डबल मुजरिम है। एक तो उन्होंने गैर शरई काम को किया कि एक कागज का टुकड़ा पकड़ाकर लिखकर दे दिया की ये चीज हलाल है और दूसरा जुर्म ये की अगर सर्टिफिकेट न दिया होता तो इंसान खुद अपने तौर पर जांच पड़ताल करके हलाल व हराम होने का पता लगा लेता। इस तरह अपने और अपने परिवार को संतुष्ट कर देता। ऐसा न करके सर्टिफिकेट देकर एक तरह से लोगों को धोखे में डाल दिया।
— Amrit Vichar News (@amritvicharnews) November 23, 2023
मौलाना ने हलाल की शरीयत में क्या हैसियत है उसको बताते हुए कहा कि शरई तरीका ये है की मांसाहारी चीजों जानवरों की जो चार रगे होती है उनमें से कम से कम तीन रगे "बिस्मिल्लाह अल्लाहु अकबर" कहकर कोई मुसलमान उसे जबाह करें। उसके साथ ही एक पलभर के लिए मुसलमान की नजर से ओझल न हो तो ये हलाल होगा और अगर इसके "विपरित " कोई कार्य होगा तो वो गैर शरई होगा।
उन्होंने कहा कि सिर्फ सेटीफीकेट दे देने से गैर शरई काम शरई नहीं हो सकता है, जो संस्थाएं इस तरह का खेल खेल रही है तो वो मज़हब की आड़ में मुसलमानों को धोखा दे रही है, ये ऐसा कारोबार है जो अल्लाह का नाम लेकर ही शुरू होता है और दुनिया में कोई दुसरा कारोबार ऐसा नहीं है जो अल्लाह का नाम लिए बिना शुरू होता हो।
मौलाना ने कहा कि हलाल टैग सिर्फ मीट पर ही लगाया जा सकता है, अगर अन्य किसी दूसरे उत्पाद पर इसे लगाया जा रहा है तो ये एक अच्छे शब्द का दुरुपयोग है। इस्लामी शरीयत में हलाल शब्द सिर्फ जानवरों के मांस के सम्बन्ध में इस्तेमाल हुआ है। इसके अलावा अन्य चीजों का इस्तेमाल जायज व नाजायज हो सकता है, पर उन पर हलाल का टैग नहीं लगाया जाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि कुछ संस्थाओं ने हलाल टैग की मार्किटींग करना शुरू कर दी थी और हर चीज पर हलाल टैग लगाने के लिए हलाल सर्टिफिकेट इशू करके कमाई का एक माध्यम बना रखा था। हद यहां तक हो गई है कि सब्जियों ,फलों , बिस्कुटों और खाने पीने की चीजों पर भी हलाल टैग लगाया जाने लगा। मुस्लिम संस्थाओं को इस तरह की भ्रमित और गुमराह करने वाली चीजों से बचना चाहिए।
मौलाना ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है कि मीट की दुकानों के लाइसेंस पहले से ही प्रशासन ने जारी किए हैं इसलिए जांच टीमें उनको परेशान न करें। और साथ ही मौलाना ने सरकार से मांग की है कि इस व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक हलाल बोर्ड का गठन करें, जिसमें ऐसे लोगों को जिम्मेदारी दी जाये जो शरई तौर पर काम करने में सक्षम हो।
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