देहरादून: 23 साल बाद भी वही हाल, विद्यालयों और महाविद्यालयों की हालत खस्ताहाल

देहरादून: 23 साल बाद भी वही हाल, विद्यालयों और महाविद्यालयों की हालत खस्ताहाल

देहरादून, अमृत विचार। प्रदेश के विद्यालयों और महाविद्यालयों की हालत खस्ताहाल होती जा रही है। तमाम शिक्षण संस्थानों में अभी भी पेयजल, भवन और फर्नीचर जैसी सुविधाओं का अभाव है। 75 विद्यालयों और 12 कॉलेजों के पास तो अभी तक अपना भवन तक नहीं है। 

शिक्षा मंत्री डा.धन सिंह रावत का कहना है कि दो वर्षों के भीतर शत प्रतिशत सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाएंगी। 114 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पेयजल सुविधा नहीं है। 21,528 छात्र-छात्राओं के लिए फर्नीचर नहीं है। 1,693 के पास कंप्यूटर और 75 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के पास अपना भवन नहीं है।

शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, जिन विद्यालयों के पास अपना भवन नहीं हैं, उसमें 69 स्कूल वन भूमि क्षेत्र में हैं। एक स्कूल को लेकर न्यायालय में वाद चल रहा है। तीन स्कूलों की भूमि को लेकर विवाद है। 

एक स्कूल डूब क्षेत्र में है, जबकि एक स्कूल छात्र संख्या शून्य होने से उसका निर्माण नहीं हो पा रहा है। शिक्षा निदेशक आरके उनियाल के मुताबिक, राज्य के कुछ स्कूल भूमि मुहैया न होने से किराये के भवन में चल रहे हैं। खासकर हरिद्वार एवं कुछ अन्य जिलों में यह स्थिति है। इसके अलावा पेयजल स्रोत दूर होने से पेयजल और बिजली की लाइन न होने से बिजली की भी समस्या बनी है। 

वहीं प्रदेश के 12 राजकीय महाविद्यालयों के पास अपना भवन नहीं है। इनमें राजकीय महाविद्यालय शीतालाखेत जिला अल्मोड़ा, मासी अल्मोड़ा, रामगढ़ नैनीताल, हल्द्वानी नैनीताल, नानकमत्ता ऊधमसिंह नगर, गदरपुर ऊधमसिंह नगर, मोरी उत्तरकाशी, खाड़ी टिहरी, पावकी देवी नई टिहरी, भूपतवाला हरिद्वार व सिद्धोवाला देहरादून शामिल हैं।