खतरे में भीमताल झील का वजूद, 230 साल में 24 मीटर घट गई झील की गहराई

भीमताल, अमृत विचार। भीमताल झील खतरे की जद में है। मौजूदा हालात और शोध रिपोर्ट कुछ ऐसी ही भयावह तस्वीर पेश कर रही है। चिंताजनक पहलू यह है कि 230 वर्ष के अंतराल में भीमताल झील की गहराई करीब 24 मीटर घट चुकी है। यही हाल क्षेत्रफल बहुत जलधारण क्षमता का भी है।
जो अस्तित्व पर मंडराते संकट का संकेत दे रही है। ऐतिहासिक एवं पौराणिक झील के संरक्षण को नियमित देख रेख में कोताही का ही नतीजा है कि भीमताल सरोवर अस्तित्व बचाने को जूझ रहा है। इकोलॉजी ऑफ माउंटेन वार के लेखक एस भट्ट वह आरके पांगडे ने अपनी शोध रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया था कि 1904 में भीमताल झील का क्षेत्रफल 60 हेक्टेयर था जो 1984 में घटकर 46.26 हेक्टेयर रह गया इसी तरह झील की जल धारण क्षमता 1415 क्यूबिक मीटर कम हो चुकी है ।
वर्ल्ड वाटर इंस्टिट्यूट के गणेश पांगडे की शोध पुस्तक स्प्रिंग का लाइफ इंडिया वॉटर रिसोर्सेस के अनुसार 1871 में भीमताल की गहराई 39 मीटर थी जो 1975 में घटकर 27 मी तथा 1985 में 22 मीटर रह गई। यानी प्रारंभ के 100 सालों में भीमताल का जलस्तर 12 मी. घटा तो 10 वर्षों में 5 मीटर की गिरावट आई। इसी तरह 230 सालों में 24 मीटर की गहराई कम हो चुकी है इसके लिए सरोवर में जमा गाद मलवा आदि जिम्मेदार है। जो सही देखरेख के अभाव में वजूद के लिए भी खतरा बन चुका ।
क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि
झील में नैनीताल पालिका की तरह नगर पंचायत का स्वामित्व होना चाहिए तभी झील का सही संरक्षण संभव है साथ ही पार्क पर्यटन व आमदनी के स्रोत सृजित हो सकेंगे।
- देवेन्द्र चनौतिया, नगर पंचायत अध्यक्ष
भीमताल झील जब नगर पंचायत के स्वामित्व में होगी तभी विकास संरक्षण वजूद बचाने वह पर्यटन आदि विषय पर क्षेत्रवासियों की राय सुझाव आएंगे और तभी टूरिज्म के साथ रोजगार की संभावनाएं भी जागृत होगी।
- हितेन्द्र बिष्ट, सामाजिक कार्यकर्ता
झील के विकास के बारे में स्थानिक जनप्रतिनिधि ही गंभीर प्रयास कर सकते हैं यदि अन्य झीलों की तरह इस झील को सही रखना है तो स्वामित्व लोकल बॉडी के जिम्मे होना चाहिए बेरोजगार युवकों को रोजगार स्थानीय व्यापार पर्यटन की संभावनाओं को बल तभी मिलता है जब स्थानीय स्तर पर ठोस योजना बने झील में नगर पंचायत का ही स्वामित्व होना चाहिए।
- नितेश बिष्ट, सामाजिक कार्यकर्ता